मंडी: शहर के साथ लगती कांगनीधार में बने हैलीपोर्ट के समीप अवैध खनन के आरोपों को कांट्रेक्टर दिनेश कुमार शर्मा ने निराधार बताया है। इनका कहना है कि हैलीपोर्ट निर्माण के दौरान जो मलबा निकला है, उसे ही वहां से हटाया जा रहा है, जबकि कुछ लोग इसे अवैध खनन का नाम देकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि हैलीपोर्ट निर्माण के लिए चिन्हित ढ़ाई हैक्टेयर भूमि पर ही कार्य किया गया है।
पहाड़ी को काटने के दौरान जो मलबा निकला था,उसे वहां से हटाया जा रहा है और इसे मई 2020 से पहले हटाने की अनुमति उनके पास है। कटिंग के कारण निकले यूज़फुल स्टोन के बदले लोक निर्माण विभाग को 19 लाख की राशि अदा की जा चुकी है जबकि खनन विभाग के पास 14 लाख की राशि अलग से जमा करवाई गई है। हैलीपोर्ट का कार्य अब पूरा हो चुका है और वहां पड़े मलबे को 18 मई 2020 से पहले उठाने का करार विभाग के साथ हुआ है। इसके अलावा वहां कोई कटिंग का कार्य नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग व्यक्तिगत लाभ लेने के चलते इस तरह के मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं। वहीं विभागों ने भी अवैध खनन के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। डीएफओ एसएस कश्यप का कहना है कि हैलीपोर्ट के लिए टूरिज्म विभाग को ढ़ाई हैक्टेयर भूमि आबंटित की गई है और उसी पर ही कार्य हो रहा है। वन विभाग ने वहां पर फैंसिंग भी करवा दी है। अवैध खनन की कोई बात मौके पर सामने नहीं आई है।
लोक निर्माण विभाग डिविजन नंबर 2 के अधिशाषी अभियंता ई. केके शर्मा का कहना है कि कांट्रेक्टर ने कटिंग के दौरान निकले यूज़फुल स्टोन के बदले विभाग को 19 लाख की रॉयलटी दी है। मौके पर सारा कार्य नियमों के तहत किया गया है। जिला खनन अधिकारी सुरेश कुमार का कहना है कि मौके पर अवैध खनन की कोई बात सामने नहीं आई है। जो मलबा मौके पर मौजूद है उसे 18 मई तक हटाने की अनुमति कांस्ट्रेक्टर को दी गई है। इसके लिए कांट्रेक्टर की तरफ से विभाग के पास 14 लाख की राशि भी जमा करवाई गई है। सारा कार्य नियमों और प्रावधानों के तहत किया जा रहा है।