पांवटा साहिब : आप यह सुनकर हैरान हो जाएंगे, शनिवार को धारटीधार की छछेती पंचायत के बच्चों को बर्फीली गिरि नदी पार कर बोर्ड परीक्षा देने जाना पड़ा। अभिभावकों की नींद तड़के ही खुल गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि नदी का जलस्तर कितना है। आनन-फानन में सुबह 7 बजे के आसपास ही क्यारी व डांडुआ गांव में बच्चों को तैयार कर दिया गया, ताकि जल्द से जल्द नदी को पार करवा दिया जाए। इसके लिए बच्चों को स्कूल यूनिफार्म नहीं पहनाई गई, ताकि नदी पार करने के बाद इसे पहनाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार शाम से ऊपरी इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है। इस कारण नदी का पानी काफी ठंडा था। शर्मनाक बात यह है कि सियायतदान इलाके की इस समस्या से बखूबी वाकिफ हैं। बावजूद इसके चुप्पी साधे हैं। अगर मौसम साफ नहीं हुआ तो बच्चे परीक्षा देने के बाद शाम को घर नहीं लौटेंगे, बल्कि नदी पार ही रात्रि ठहराव करना पड़ेगा। दीगर है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने कुछ माह पहले भी इस बात का खुलासा किया था कि कैसे गांव के लोगों को जान हथेली पर रखकर गिरि नदी के किनारे पैदल चलने पर विवश होना पड़ता है। शनिवार को इलाके में बीमार पड़ी एक महिला को भी डंडों से बांध कर नदी पार करवानी पड़ी। रेणुका क्षेत्र के इन दो गांवों के अलावा अछौण गांव भी प्रभावित है।
करीब 60 छात्रों के अलावा दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों को नौकरी के सिलसिले में सतौन, पांवटा साहिब व राजबन जाना पड़ता है। नदी पार फंसने की सूरत में छात्रों व कर्मचारियों को 60 किलोमीटर के बस सफर के बाद लगभग 11 किलोमीटर का पैदल रास्ता खतरनाक जंगल में तय करना पड़ता है। मांग है कि स्थाई व्यवस्था से पहले डांडुआ व अछौण के बीच पैदल चलने के लिए पुल प्राथमिकता के आधार पर बनना चाहिए।