शिमला : हिमाचल के प्रसिद्ध मेलों व उत्सवों की सांस्कृतिक संध्याओं में स्थानीय कलाकारों को तरजीह न देने पर कलाकारों ने गहरा रोष प्रकट किया है। इनका कहना है कि सरकार व प्रशासन द्वारा प्रदेश की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लोक कलाकारों को अधिक से अधिक मंच प्रदान करने के दावे खोखले साबित हुए हैं। इन कलाकारों ने सांस्कृतिक संध्याओं में कलाकारों के चयन पर भी सवाल खड़े किए हैं। इन्होंने राज्य सरकार से हिमाचली कलाकारों के लिए अलग से नीति बनाने और कुल बजट का पचास फीसदी पहाड़ी कलाकारों पर खर्च करने की मांग की।
हिमाचल में कई पहाड़ी एलबम निकाल चुके गायकों व नाटी कलाकारों रामेश्वर शर्मा, पंकज ठाकुर, काकू चैहान, जीव शर्मा, सुरेश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा और प्रवेश निहाल्टा ने शनिवार को शिमला में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में ये आरोप लगाए। इन कलाकारों ने यह भी कहा कि सरकार ने अगर मेलों व उत्सवों में स्थानीय कलाकारों को तरजीह नहीं दी, तो आंदोलन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचली कलाकारों के साथ अन्याय हो रहा है। इससे हिमाचल की नाटी और संगीत संस्कृति खतरे में है। इन मेलों में हिमाचली कलाकारों का आरोप है कि मेलों में न तो हिमाचली कलाकरों को उचित मेहनताना दिया जा रहा है और न ही स्टेज पर दो मिनट से ज्यादा का समय दिया जाता है। राजीव शर्मा ने बताया कि प्रदेश के कलाकारों के साथ अन्याय हो रहा है। बाहरी कलाकारों को लाखों दिए जा रहे हैं जबकि हिमाचल के 100 कलाकारों पर नाममात्र राशि खर्च की जा रही है। जब अधिकारियों से बात की जाती है तो जवाब मिलता है कि नेताओं की सिफारिश पर कलाकारों का चयन किया जाता है।
पंकज ठाकुर ने कहा कि यदि प्रशासन का रवैया इसी तरह से बना रहता है तो आने वाले समय में हिमाचली कलाकार इसके खिलाफ आन्दोलन छेड़ेंगे। इसके तहत ऐसे गाने बनाए जाएंगेे, जिनसे सरकार का विरोध होगा।
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