पालमपुर: सरकारी अस्पतालों में बीपी के उपचार के लिए मिलने वाली निःशुल्क दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। कांगड़ा जनपद के भवारना चिकित्सा खंड में रेपर में टेबलेट की बजाय पाउडरनुमा पदार्थ निकलने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में करीब एक लाख टेबलेट को वापस मंगवा लिया गया है। गौरतलब है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खैरा से पाउडरनुमा पदार्थ निकलने का मामला मीडिया ने उजागर किया था।
दीगर बात यह भी कि हैरतअंगेज मामला भी स्वास्थ्य मंत्री के अपने गृह जनपद से ही सामने आया है। अब विभाग ने टेबलेट के वितरण पर रोक लगा दी है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि मामला मीडिया में आने से पहले टेबलेट का वितरण धड़ल्ले से हो रहा था। कांगड़ा जनपद के सीएमओ गुरदर्शन गुप्ता द्वारा मीडिया को दिए गए बयान में कहा गया है कि आपूर्ति रोकने के आदेश जारी किए जा चुके हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि दवाओं की सप्लाई सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंच रही थी, लेकिन इस बात को लेकर विभाग ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। विभाग कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की भी तैयारी कर रहा है। कुल मिलाकर इस मामले ने फिर इस बात को लेकर सवाल उठा दिए हैं कि क्या खुलेआम प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। मांग उठ रही है कि इस दवा की प्रयोगशाला में जांच के साथ-साथ आपराधिक मामला दर्ज करवाने का भी प्रावधान होने चाहिए। कुल मिलाकर जब घटिया दवा बनाने वाली कपंनी मंत्री जी के अपने जिला में ही इस तरह की सप्लाई कर सकती है तो बाकी क्षेत्रो में क्या हाल होगा।
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