भुंतर : गाड़ापारली पंचायत में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के अलावा आम जनता की सहानुभूति उसके परिवार के साथ है। वहीं संगठन व जनता विभाग की कार्यप्रणाली से भी काफी खफा है। उन्होंने अकेले ही दुर्गम क्षेत्र में कार्यकर्ता को ड्यूटी पर कैसे भेज दिया। मंगलवार को इस मुद्दे पर सैंज संयुक्त संघर्ष समिति ने नायब तहसीलदार के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजा।
समिति ने प्रधान महेश शर्मा के नेतृत्व में नायब तहसीलदार सैंज को सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश सरकार से गीता देवी के परिवार को स्थाई रोज़गार, उचित मुआवज़ा तथा राज्य स्तरीय सम्मान के अलावा शाकटी गांव के दुर्गम रास्ते में रेलिंग लगाने की मांग की। संघर्ष समिति ने आंगनबाड़ी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन में थोपे जा रहे अतिरिक्त कार्यों को भी बंद करने की मांग रखी है।
संघर्ष समिति के प्रधान महेश शर्मा तथा सचिव शेर सिंह नेगी ने कहा कि निहारनी से शाकटी, शुगाड़ व मरौड़ गांवों के लिए जाने वाला 25 से 30 किलोमीटर का रास्ता बहुत ही ख़तरनाक है जिसमें आदमी का अकेला चल पाना मुश्किल है। लेकिन इस रास्ते को संवारने या इन गांवों को सड़क से जोड़ने की आज तक कोशिश नहीं की गई जिस कारण गीता देवी को अपनी जान गंवानी पड़ी।
पूर्व बीडीसी उपाध्यक्ष एवं समिति के सलाकार गोविंद ठाकुर तथा नारायण चौहान, रैला पंचायत के उपप्रधान बालमुकुंद ठाकुर, प्रेस सचिव बुद्धि सिंह ठाकुर, सोशल मीडिया प्रभारी गवीश शर्मा, व्यापारी विकास समिति सैंज के प्रधान सुरेश कुमार, उपप्रधान लाल दास, मीडिया प्रभारी सुमन पालसरा, अर्जुन, प्रेम मेहर, पप्पू, रामेश्वर सहित समिति के तमाम पदाधिकारियों ने कहा कि भारी बर्फ़बारी के बीच अकेली महिला को अतिरिक्त कार्य के लिए भेजना घातक साबित हुआ जिसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती।
मगर सरकार परिजनों की भलाई के लिए जल्द आवश्यक कदम उठाएं। समिति ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि गीता देवी के परिजनों को उचित मुआवज़ा, स्थाई रोज़गार तथा राज्य स्तरीय सम्मान दिया जाए। साथ ही शाकटी जाने वाले रास्ते में तुरंत रेलिंग लगाई जाए ताकि ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।