शिमलाः विश्व के ताकतवर प्रधानमंत्रियों की फेहरिस्त में शामिल नरेंद्र मोदी के सेनापति बनने का गौरव हिमाचल को मिला है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व पार्टी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल सहित केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के अलावा मंत्रियों की टोली इस पल की साक्षी बनी। हालांकि पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर जेपी नड्डा की ताजपोशी तय थी, लेकिन सोमवार को अधिकारिक तौर पर पद को संभाल लिया। सोमवार दोपहर देश के गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में 2:33 पर पार्टी के निर्वाचन अधिकारी ने नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होने की विधिवत घोषणा की। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कार्यक्रम में पहुंचना था लेकिन अपरिहार्य कारणों की वजह से नहीं पहुंच पाए।
छोटे से पहाड़ी प्रदेश से दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल भाजपा का मुखिया बनना अपने आप में एक ऐतिहासिक पल हैं। हिमाचल में भाजपा प्रभारी रहने के दौरान नरेंद्र मोदी की जेपी नड्डा से करीबियां बनी थी। इसके बाद से नड्डा ने मोदी के प्रति अपनी निष्ठा पर मामूली सी भी आंच नहीं आने दी। गौरतलब है कि करीब 7 महीने पहले भाजपा ने नड्डा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दी थी। शायद ही इस बात का इल्म किसी को रहा होगा कि एक शख्स, जो प्रदेश का सत्ता से मंत्रिमंडल का त्याग कर संगठन में जा रहा है, उसका राजनीतिक कद इस मुकाम तक पहुंच जाएगा कि वो एक दिन देश के प्रधानमंत्री का ही सेनापति बनकर उभरेगा।
यह भी स्पष्ट करना होगा कि किसी भी राजनीतिक दल में पावर व संगठन समानांतर तौर पर ही अहमियत रखते हैं। 1993 में पहली मर्तबा विधानसभा में एंट्री लेने वाले नड्डा आज शिखर पर पहुंचे हैं। 1994 से 1998 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। 1998 में दोबारा जीत कर स्वास्थ्य मंत्री बने। 2007 में फिर चुनाव जीतने का अवसर मिला। वन व पर्यावरण मंत्री बन गए। संगठन ने उन्हें दिल्ली आने का न्यौता दिया तो झट से स्वास्थ्य मंत्री के पद से इस्तीफा देकर दिल्ली पहुंच गए। 2012 में नड्डा को राज्यसभा से सांसद बनने का अवसर मिला। मोदी की सरकार बनी तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने। पांच साल शानदार काम किया।
मोदी की दूसरी सरकार में मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से यह साफ जाहिर हो गया था कि उन्हें संगठन के मुखिया का ओहदा मिलेगा। 30 मई 2019 को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। अहम बात यह है कि भाजपा ने उस राज्य से अपना मुखिया चुना है, जहां से मात्र लोकसभा की चार सीटें हैं। 2 दिसंबर 1960 को जन्में नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को लेकर 2014 से चर्चा चल रही थी, लेकिन उस समय उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल का ओहदा दिया गया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने 31 मई 2019 को प्रकाशित एक खबर में इस बात का खुलासा किया था कि जेपी नड्डा के एनडीए-2 में मंत्री न बनने के मायने क्या हैं। दिसंबर 2017 में यह भी चर्चा शुरू हुई थी कि प्रदेश की बागडोर नड्डा को सौंपी जा सकती है। अटकलों के मुताबिक नड्डा हालांकि विधायक दल की बैठक में मौजूद रहे थे, लेकिन इससे पहले ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस ओहदे से इंकार कर चुके थे।
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