शिमला : सिरमौर से पहली बार बतौर पुलिस अधीक्षक पारी शुरू करने वाली आईपीएस सौम्या सांबशिवन पिछले दो दिनों से खासी चर्चा में हैं। दरअसल, गुडिया से जुड़े मामले में सीबीआई की चंडीगढ़ अदालत में बेबाकी से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जहूर जैदी के खिलाफ मोर्चा खोला है। ओपन कोर्ट में आईजी स्तर के अधिकारी पर मानसिक रूप से प्रताड़ना का आरोप लगाकर हर किसी को चौंका दिया है।
दीगर है कि गुडिया मामले के दौरान तत्काल वीरभद्र सरकार ने रातोंरात ही लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति खराब होने पर आईपीएस सौम्या को सिरमौर से शिमला तब्दील कर दिया था। काफी हद तक स्थिति को नियंत्रित करने में सौम्या कामयाब हो गई थी। अब खुली अदालत में एक महिला आईपीएस द्वारा ही आईपीएस अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी करने से खुद महकमा भी चौंका हुआ है। सूबे में जयराम सरकार के काबिज होते ही आईपीएस सौम्या को शिमला से हटाकर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में बतौर प्रिंसीपल भेजा गया। इसके बाद बटालियन में तैनाती दी गई। दो साल में दो मर्तबा तबादले हो चुके हैं।
बुधवार को सीबीआई की चंडीगढ़ अदालत में दिए गए बयान में सौम्या सांबशिवन ने कहा कि बयान बदलने को लेकर आईजी रैंक के अधिकारी के दबाव में थी। सीबीआई ने एसपी को भी गवाह बनाया हुआ है। हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आखिर किस बयान को बदलने के लिए जैदी द्वारा दबाव डाला जा रहा था, लेकिन इतना जरूर कहा जा रहा है कि सूरज लॉकअप हत्याकांड से जुड़ी बात थी। गौरतलब है कि सौम्या से जैदी काफी वरिष्ठ अधिकारी हैं। एसपी स्तर के आईपीएस को आईजी पद तक पहुंचने के लिए 8 से 12 साल का वक्त सामान्य है।