राजगढ़ : बस स्टैंड पर हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा सब-डिपों का बोर्ड तो टांग दिया गया परन्तु सब-डिपो बनने से न ही बसों की संख्या में वृद्वि हुई और न ही निगम द्वारा यात्रियों के लिए कोई सुविधाएं सृजित की गई है। बस स्टैंड पर लगा सब-डिपो का यह बोर्ड और बस स्टैंड पर पड़े गड्ढे अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे है।
बता दें कि 27 फरवरी 2019 को सांसद लोकसभा एवं तत्कालीन विधायक सुरेश कश्यप द्वारा एचआरटीसी के सब डिपों का उद्घाटन किया गया था। 25 मई 2007 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष जीआर मुसाफिर द्वारा बस अड्डा का लोकार्पण किया गया था। इस बस अड्डे का संचालन क्षेत्रीय प्रबंधक एचआरटीसी सोलन द्वारा किया जाता है। इस बस अड्डा के माध्यम से राजगढ़ से सोलन, हरिपुरधार, खैरी, नाहन, नौहराधार तथा लोकल रूटों पर एचआरटीसी की 13 बसें 38 रूट पर चलाई जाती रही है।
अड्डा प्रभारी के अनुसार सब डिपों बनने के उपरांत बसों की संख्या घटकर 11 रह गई है। यह बस अड्डा इतना छोटा है कि बस चालकों को हमेशा बसों को बाहर खड़ा करना पड़ता है।अड्डा प्रभारी के अनुसार बसों की मुरम्मत के नाम पर पीस मील पर एक मिस्त्री है जो सप्ताह में दो-तीन बार आकर छुटपुट मुरम्मत का काम करता है। जबकि सब डिपों में बसों की मुरम्मत के लिए अलग से वर्कशाप का प्रावधान होता है। अड्डा प्रभारी ने बताया कि यहां केवल पांच बसों को काउंटर लगने की व्यवस्था है जबकि एचआरटीसी सहित 21 निजी बसें भी विभिन्न रूटों के लिए रवाना होती है। बस अड्डा में गड्ढे होने से यात्रियों और बस चालकों को बहुत परेशानी होती है।
इस बारे यात्रियों से बात की गई तो रमेश, रविन्द्र कुमार, जयचंद, प्रोर्मिला कुमारी, राधा, दिव्या ने बसअड्डा की खस्ता हालत पर दुःख जताते हुए कहा कि सरकार द्वारा सब-डिपों का बोर्ड तो लगा दिया गया परन्तु सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं। यात्रियों के लिए बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं है। सुलभ शौचालय की दशा भी ठीक नहीं है। सार्वजनिक नल न होने के कारण यात्रियों को बहुत परेशानी पेश आती है। यात्रियों का कहना है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह बस अड्डा बहुत छोटा है जिसका विस्तार अथवा अन्य किसी स्थान पर ले जाया जाना आवश्यक है।
क्षेत्रीय प्रबंधक एचआरटीसी सोलन सुरेश धीमान से जब बात की गई उन्होंने माना कि अभी तक इस सब-डिपो के बनने के उपरांत यहां कोई आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा सकी है। स्टाफ की कमी के कारण बसों की संख्या भी नहीं बढ़ाई गई है। उन्होंने बताया कि बस अड्डा की मुरम्मत के लिए मुख्यालय के साथ पत्राचार किया गया है ताकि यहां आवश्यक मुरम्मत करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि सरकारी व निजी बसों की बढ़ती संख्या के अनुपात में यह बस अड्डा काफी छोटा पड़ गया है। नए बसअड्डा के लिए जमीन की तलाश की जा रही है।