शिमला : कहते हैं, जीवन के एक दौर में कंटीले रास्तों को तय करने की हिम्मत व हौंसला हो तो फूलों की सेज भी आपका बेसब्री से इंतजार करती है। जीवन की युवा अवस्था कंटीला रास्ता होती है। युवाओं का एक तबका सोशल मीडिया के अलावा आधुनिकता की दौड़ में भूल जाता है कि अगले पड़ाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन जो समय रहते समझ जाते है, सफलता उनके कदम चूमती है और जीवन भर सकून रहता है।
जुब्बल के मूरल (बरथाटा) की रहने वाली 26 वर्षीय चुनौती संगरौली ने जीवन के कंटीले रास्ते को हौंसले से पार कर लिया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि माता-पिता की लाडली बेटी आज सिविल जज तो बनी ही है। साथ ही हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा का टॉपर बनने का गौरव भी हासिल कर लिया है। बागवान पिता दौलत राम व स्कूल लेक्चरर माता सुनीता अपनी लाडली को बचपन से ही सिविल जज बनता देखना चाहते थे, क्योंकि पिता भी कुछ अरसे तक कानूनी प्रोफेशन से जुड़े थे। लिहाजा बेटी को सिविल जज बनाने का सपना देखा था। लॉ व एलएलएम की पढ़ाई में चुनौती गोल्ड मेडलिस्ट रही है। खुद पर इस कदर का आत्मविश्वास था कि परीक्षा के लिए कोई भी कोचिंग नहीं ली।
हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के परीक्षा की पहली कोशिश में चुनौती मात्र तीन अंकों की वजह से पिछड़ गई थी। दूसरी कोशिश में एक अंक के अंतर से चुनौती को असफलता मिली। मगर गोल्ड मेडलिस्ट बेटी यह बखूबी समझ चुकी थी कि वह दिन दूर नहीं जब वह कोशिश में सफलता अर्जित कर लेगी।
7 दिसंबर 2019 की शाम को वह वक्त आ गया जब पिता न्यूज़ देख रहे थे। मां पूजा कर रही थी। घर पर बैठे चुनौती अपने रिजल्ट के बारे में ही सोच ही रही थी, तभी उनके एक मित्र ने रिजल्ट घोषित होने की सूचना दी। खुद को परीक्षा का टॉपर देख चुनौती की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राजधानी के चेल्सी व तारा हॉल से पढ़ाई कर चुकी चुनौती ने यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल स्टडीज शिमला से लॉ की पढ़ाई पूरी की है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब सीधे ही चुनौती से सवाल पूछा कि इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए युवाओं को कैसे टिप्स देना चाहेंगी। तो जवाब भी चौंकाने वाला था। उनका कहना था कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवा खुद की क्षमता को भूल चुके हैं। वह सिर्फ कोचिंग पर ही निर्भर हो रहे हैं। उनका कहना था कि हर एक शख्स में अपनी एक दक्षता होती है, जिसे महसूस कर आगे कदम बढ़ाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी परीक्षा के लिए विश्वास के साथ सेल्फ स्टडी ही मायने रखती है। इसके अलावा संयम भी अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि छोटा भाई भी लॉ की पढ़ाई कर रहा है।
26 साल की उम्र में सिविल जज बनी चुनौती ने कहा कि नेट व जेआरएफ की परीक्षा भी उन्होंने उत्तीर्ण की है। इसके अलावा हाल ही में पीएचडी में भी दाखिला हो गया था। एक अहम बात में चुनौती ने कहा कि सफलता कड़ी मेहनत करने वाले को मिलती है। इसमें चाहे बेटा हो या बेटी। चुनौती से जब यह सवाल पूछा गया था कि इस परीक्षा में 10 पदों में से 9 पर बेटियों ने कब्जा किया है तो उनका कहना था कि उनके माता-पिता ने बेटे व बेटी में कभी फर्क नहीं समझा। उन्हें बेहतरीन से बेहतरीन स्कूलिंग देने का प्रयास किया। आज वह इस बात से बेहद खुश हैं कि अपने माता-पिता के सपनों को साकार कर पाई।
चुनौती का कहना था कि साक्षात्कार के दौरान उनसे यह सवाल पूछा गया कि जुब्बल क्यों जाना चाहिए तो यह सवाल उनके लिए बेहद ही रोमांचित करने वाला था। क्योंकि उन्हें अपने क्षेत्र के बारे में बताने का मौका मिला था। चुनौती ने कहा कि सेब की बागवानी के लिए तो इलाके की पहचान है ही, साथ ही यहां आने पर चंबी-कुप्पड़ जाने का मौका मिलेगा। जिसके बारे में शायद काफी कम लोग जानते हैं। इसी स्थान से गिरी गंगा का उदगम हुआ है। एक सवाल पर उन्होंने अनभिज्ञता भी जारी की थी। इसके अलावा कानूनी पढ़ाई से जुड़े सवाल पूछे गए थे।
दीगर है कि चुनौती ने हरियाणा न्यायिक सेवा की परीक्षा के साक्षात्कार में भी हिस्सा लिया है। उनका कहना था कि इस परीक्षा के नतीजे में कुछ वक्त लगेगा।
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