नाहन : कहते हैं, कुदरत जब देती है तो छप्पर फाड़ कर देती है। मगर यहां कुदरत ने एक मजदूर की तीन बच्चों से एक साथ झोली भरी है। अब यह तो आप ही तय कर सकते हैं कि कुदरत के इस करिश्में से मजदूर को कुछ हासिल हुआ या फिर उस पर परवरिश को लेकर मुश्किलें आन पड़ी है। ट्रांसगिरि के कफोटा क्षेत्र के कोटापाब की रहने वाली संगीता ने अगस्त माह में एक सजेरियन डिलीवरी में दो बेटों व एक बेटी को एक साथ जन्म दिया था। हाल ही में नवजात शिशुओं को निमोनिया हुआ तो पांवटा साहिब अस्पताल पहुंचाया गया। इसके बाद ही महिला के तीन शिशुओं को एक साथ जन्म देने का खुलासा हुआ।
आर्थिक तंगी के कारण स्थिति यह है कि तीन बच्चों की एक साथ परवरिश करने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं है। यहां तक की कई मर्तबा परिवार को पाउडर का दूध ही पिलाने पर विवश होना पड़ा। पति सोलन में मजदूरी कर छोटी-मोटी दिहाड़ी कमा लेता है। संगीता की पहले भी एक बेटी है। परिवार की मानें तो नवजात शिशुओं को पहले भी पांवटा साहिब लाया जा चुका है। बच्चे जब तक अस्पताल में रहते हैं तो ठीक रहते हैं, लेकिन घर जाते ही बीमार हो जाते हैं। संभव है कि खुराक न मिल पाने की वजह से ऐसा हो रहा होगा।
सराहनीय बात यह है कि पांवटा साहिब का अस्पताल प्रशासन तीन नवजात शिशुओं की देख-रेख में कोई कमी नहीं रख रहा। परिवार को सरकार की उन योजनाओं की भी दरकार है, जिसमें सरकार नवजात शिशुओं के कुपोषण को लेकर प्रभावी कदम उठाती है। बहरहाल अब तक आपने शायद ऐसी ही खबरें पढ़ी होंगी, जिसमें गरीब परिवारों को इलाज के लिए आर्थिक मदद की दरकार रहती है। लेकिन शायद यह दुर्लभ ही मामला होगा, जब गरीबी के तले परिवार को कुदरत के अनोखे उपहार के लालन-पोषण के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ी हो।
उधर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके पराशर ने कहा कि संगीता को नवजात शिशुओं के साथ हर इम्दाद देने की पूरी कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि निमोनिया की शिकायत पर नवजात शिशुओं को दाखिल किया गया है। शिशुरोग विशेषज्ञ बेहतरीन तरीके से उपचार उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहे हैं।
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