कांगड़ा: कहते हैं, मजबूत हौसले से समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी रुकावट दूर की जा सकती है। कहावत को सुलह विधानसभा क्षेत्र के घरथू-कोना गांव के लोगों ने साबित कर दिखाया है। सरकारों की लगातार अनदेखी के बाद ग्रामीणों ने खुद ही न्यूगल नदी पर 20 मीटर लंबा लोहे और लकड़ी का पुल बनाकर तैयार कर दिया है। इससे अब वह एक घंटे की दूरी महज 10 मिनट में तय कर लेते हैं।
घरथू-कोना गांव के बाशिंदे वर्षों से न्यूगल नदी पर स्थायी पुल की मांग कर रहे थे। मगर वोट लेने के बाद विधायकों ने कभी इस ओर पलट कर ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सूबे के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार कर रहे हैं। एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क ने मंत्री से सम्पर्क करने का प्रयास किया, लेकिन वो व्यस्त बताए गए। बहरहाल हर साल पुल बनाने में 25 से 30 हजार का खर्च आ जाता है, जिसे गांव के लोग खुद ही मिलकर वहन कर लेते हैं। यह पुल हर साल बरसात के दिनों में नदी में बह जाता है। इस लकड़ी और लोहे की पुलिया से रोजाना बड़ी तादाद में लोग नदी पार कर अपने कार्य क्षेत्र और काम से थुरल कॉलेज, बस स्टॉप जाते हैं।
सैकड़ों छात्र भी रोजाना जान जोखिम में डालकर नदी पार कर दूसरी तरफ जाते हैं। बरसात के दिनों में पुल बह जाने पर ग्रामीणों को बस पकड़ने के लिए 5 किलोमीटर दूर बस स्टॉप का चक्कर लगाना पड़ता है। पुल बन जाने से बाद यह दूरी महज आधा किलोमीटर की रह गई है। पुल बन जाने से लोगों ने राहत की सांस लेते हुए बताया कि सरकार से कितनी बार गुहार लगाने के बाद भी हम लोगों को वादे के सिवा कुछ नहीं मिला। पुल बन जाने से लोगों का आना-जाना आसान हो गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि थुरल नोण से कोना घरथूं न्यूगल नदी पर पुल निर्माण-बजट 2015-2016 कोना घरथूं की जनता की इस परेशानी को समझते हुए पूर्व विधायक जगजीवन पाल ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से प्राथमिकता के आधार पर राजकीय महाविद्यालय थुरल से कोना घरथूं के लिए न्यूगल नदी पर पुल निर्माण के लिए कांग्रेस सरकार के लोक निर्माण विभाग के बजट 2015-2016 में शामिल किया था। इसकी डीपीआर बनाने का कार्य जारी था, जिसकी अनुमानित राशि बजट में अंकित है। जिसका कार्य कोड संख्या 1995-307-11188 है।
कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद इस महत्वपूर्ण कार्य को रोक दिया गया। कार्य को रोकने के पीछे क्या कारण था, इसकी जानकारी नहीं है। यदि कांग्रेस की सरकार होती तो थुरल से चल्लाह सड़क पर न्यूगल नदी पर बन रहे पुल की तरह ये पुल भी तैयार हो गया होता। लोगों की मांग है कि इस पुल को बनाया जाए। अन्यथा आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर ग्रामीणों ने सरकार को अपने ही दम पर पुल का निर्माण कर करारा तमाचा जड़ा है। ऐसे लोगों की प्रशंसा बनती है। उल्लेखनीय है कि सरकार का पूरा अमला ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में व्यस्त है। लिहाजा इस मुद्दे पर बोलने को कोई उपलब्ध हो जाए इसका सवाल ही नहीं उठा।