नाहन: राज्य सरकार कुछ दिनों से इस बात का दावा कर रही है कि प्रदेश के अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक का इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। चूंकि इस इंजेक्शन की कीमत 60 हजार के आसपास रहती है, लिहाजा चर्चा भी लाजमी है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि मेडिकल कॉलेज बनने से पहले नाहन अस्पताल में कुछ रोगियों को यह इंजेक्शन निशुल्क मिल भी गया था।
स्पष्ट शब्दों में समझे तो ब्रेन स्ट्रोक को लकवा, अधरंग का दौरा भी कहा जाता है। इसमें कुछ पलों के लिए खून का संचार रूकता है। इसी कारण मरीज के किसी किसी हिस्से को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है। विशेषज्ञों की मानें तो इंजेक्शन को एक खास तरीके से लगाया जाता है। इससे पहले सीटी स्कैन लाजमी होता है। अगर मरीज को दौरे के बाद चार घंटे के बाद इंजेक्शन लग जाए तो उसके शरीर के किसी भी हिस्से को नुकसान नहीं पहुंचेगा। पुख्ता सूत्रों की मानें तो इंजेक्शन की उपलब्धता बड़ी समस्या नहीं है, बशर्ते मेडिकल कॉलेज का सीटी स्कैन सुचारू रूप से चले।
जानकारों की मानें तो पिछले कुछ सालों में हिमाचल में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़े हैं। राज्य में हर साल 5 से 7 हजार मामले स्ट्रोक के सामने आ रहे हैं। इसमें 20 से 30 फीसदी मरीजों की मौत रास्ते में ही हो जाती हैं। माना जाता है कि 55 साल की उम्र के बाद स्ट्रोक का खतरा 100 में से 20 महिलाओं को रहता है। कुल मिलाकर सिटी स्कैन के ठप होने की वजह से न केवल स्ट्रोक के रोगियों, बल्कि अन्य मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उधर मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. डीडी शर्मा ने कहा कि कॉलेज में रेडियोलॉजिस्ट उपलब्ध है, लेकिन वो टैक्नीशियन के उपलब्ध होने की स्थिति में ही सीटी स्कैन करने की बात करते हैं। सरकार को बार-बार टैक्निीशियन उपलब्ध करवाने के लिए पत्राचार किया गया है। उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष अक्सर चंडीगढ़ ही रहते हैं। उल्लेखनीय है कि मूलतः नाहन के ही रहने वाले डॉ. डीडी शर्मा खुद रेडियोलॉजिस्ट हैं।