सरकाघाट : हिमाचल में छोटी काशी के नाम से विख्यात प्रसिद्ध प्राचीन शक्तिपीठ प्रदेश ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है। लेकिन छोटी काशी के ही मंदिरों की हालत दयनीय हो जाए तो उससे बड़ी शर्म की कोई बात नहीं हो सकती। उपमंडल सरकाघाट के प्रसिद्ध प्राचीन शक्तिपीठ नौबाही देवी मंदिर में चारों ओर अव्यवस्था का आलम है। मंदिर के इस हाल से प्रदेश सरकार का मंदिरों व धरोहरों को सहेजने के प्रति गंभीरता जग जाहिर हो गई है। मंदिर के गर्भगृह की छत लगातार पानी टपकने से गिरने की कगार पर पहुंच गई है। इससे प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से शीश नवाने आए भक्तों में प्रदेश सरकार व मंदिर प्रबंधन के खिलाफ गहरा रोष व्याप्त है।
नबाही गांव में माता के दर्शन करने आए भक्त छत से लगातार टपक रहे पानी के कारण काफी परेशानी झेल रहे हैं। मंदिर परिसर में बने राधाकृष्ण मंदिर के दान पात्र पर भी छत से पानी टपक रहा है। हैरानी की बात यह है कि मंदिर प्रबंधन द्वारा अपनी नालायकी छुपाने के लिए दान पात्र के ऊपर प्लास्टिक का लिफाफा रखकर उसकी पानी से रक्षा की जा रही है।
वहीं मंदिर परिसर में बने दो कमरों की स्थिति भी दयनीय है। कमरों में दरारें पड़ गई हैं। इसके कारण यह कमरे कभी भी गिरकर जान व माल का नुकसान कर सकते हैं। नौबाही माता का मंदिर पिछले 12 सालों से सरकार द्वारा अधिगृहित कर प्रशासन की देख-रेख में है। लेकिन प्रशासन आज तक मंदिर के मुख्य द्वार में नौबाही माता का एक साइन बोर्ड तक नहीं लगा सका है।
मंदिर में सावन मास, नवरात्र और त्योहारों में हजारों लोग मंदिर में माथा टेकने आते हैं। हालांकि मंदिर अधिकारी तहसीलदार सरकाघाट द्वारा स्थानीय लोगों की समिति बनाई है, जो प्रशासन को समय-समय पर मंदिर में निर्माण कार्य करने, साज-सज्जा, रंगरोगन करने व श्रद्धालुओं को अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के सुझाव देती हैं। लेकिन किसी भी सदस्य का ध्यान मंदिर की छत तक न जाने से लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि मंदिर में हर वर्ष 7 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है। अगर श्रद्धालु मंदिर में एक रुपए भी दान पात्र में डालता हो तो वर्ष में 7 लाख राशि बनती है। अगर प्रति श्रद्धालु 10 रुपए भी दान पात्र में डाले तो वर्ष में 70 लाख राशि बनती है। लेकिन उसके बावजूद भी प्रशासन मंदिर का रख-रखाव करना भूल गया है।
स्थानीय लोगों विनोद कुमार, रामलाल, रमेश कुमार, नरेश कुमार, मनोहर लाल, राधेश्याम, भीम सिंह, हरिराम, ललित जम्वाल सहित अन्य लोगों ने मंदिर प्रशासन से गर्भगृह की छत, लेंटर व कमरों की तुरंत मरम्मत करने की मांग की है। वहीं प्राचीन शक्तिपीठ नौबाही देवी मंदिर में लाखों रुपए खर्च करके बनाए शौचालयों में काफी समय से ताला लटका है। शौचालय बंद रहने से मंदिर की स्वच्छता चरमरा गई है। इन शौचालयों का प्रयोग श्रद्धालु करते है। लेकिन शौचालय बंद रहने से श्रद्धालुओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं को शौच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। मंदिर अधिकारी एवं तहसीलदार सरकाघाट दीनानाथ से जब दूरभाष के माध्यम से बात हुई तो उन्होंने कहा कि चार दिन पूर्व ही उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया है। समस्या को लेकर शीघ्र ही मंदिर का दौरा कर सारी स्थिति का जायजा लिया जाएगा।