शिमला: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के डाॅक्टरों पर इलाज में कोताही बरतने का आरोप लगा है। आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल के डाॅक्टरों पर मृतक महिला के पति ने गंभीर आरोप लगाए हैं। शिमला निवासी पूर्ण चंद शर्मा ने आज यहां प्रेसवार्ता में कहा कि कैंसर अस्पताल में कैंसर संबंधित जांच के पर्याप्त उपकरण न होने के कारण मरीजों का सही उपचार नहीं हो पा रहा है।
अपनी पत्नी की तीन साल तक बेतहाशा दर्द के बीच कैंसर से मौत के मामले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी 63 वर्षीय जमना शर्मा को फरवरी 2015 में केएनएच में स्वास्थ्य समस्या के चलते जांच के लिए लाया गया था। इस दौरान यूरिन की जांच में चिकित्सकों ने पाया कि उसके गर्भ की थेली में ।।-बी ग्रेड कैंसर पनप रहा है। अगले दिन उसे आईजीएमसी स्थित कैंसर टर्शरी सेंटर लाया गया। इसके बाद उसे चार बार कीमो और 23 बार रेडियेशन थैरेपी से गुजारा गया। लेकिन उसके बाद भी समस्या कम न होने और कीमो व रेडिएशन के प्रभाव से जमना की तबीयत खराब होती गई।
फिर कैंसर अस्पताल के चिकित्सकों की ही सलाह पर चंडीगड़ के चिकित्सा संस्थान में ब्रेकिंग थेरेपी दो बार की गई। लेकिन उसके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट होती रही और आईजीएमसी कैंसर टर्शरी सेंटर के चिकित्सक दावा करते रहे कि महिला में अब कैंसर का कोई लक्षण नहीं है। जबकि वर्ष 2017 में चंडीगढ़ में पैट स्कैन के दौरान पता चला कि उसके गर्भ से कैंसर बढ़ गया है और वह चौथी स्टेज में पहुंच चुका है। गर्भ के कैंसर ने उसके स्पाईनल (रीढ) को भी प्रभावित कर दिया है।
उसके बाद नवम्बर 2018 में जमना की बेहद पीड़ा में मौत हो गई। उन्होंने कहा कि कैंसर अस्पताल के डाॅक्टरों ने उनकी पत्नी के इलाज में भारी कोताही बरती और सही इलाज नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले की सरकार को जांच करवानी चाहिए और लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा 304ए में एफआईआर दर्ज हो। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को अदालत में भी ले जाएंगे।