हमीरपुर: लोकसभा चुनावों के बाद अब प्रदेश में काँगड़ा जिला के धर्मशाला विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। इसी बीच धर्मशाला से पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के क़द्दावर नेता प्रेम कुमार धूमल की धर्मशाला से विधानसभा उपचुनाव लड़ने की चर्चाओं ने सभी के कान खड़े कर दिए हैं। काँगड़ा से उठी आवाज़ के बाद धर्मशाला से धूमल के चुनाव लड़ने की चर्चा मात्र से ही भाजपा के अंदर गुणा-भाग शुरू हो गया है।
यह चर्चा यूँ ही नहीं हो रही हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। धूमल का पीएम मोदी से मिल लम्बी चर्चा करना, रमेश धवाला व पवन राणा प्रकरण, इन्दु गोस्वामी का इस्तीफ़ा, भाजपा के एक वर्ग को हाशिए पर रखना, सरकारी पदों पर नियुक्तियों को लेकर आक्रोश इन चर्चाओं को हवा दे रहे हैं। आपको बता दें कि काँगड़ा हमेशा हिमाचल की राजनीति का भविष्य तय करता रहा है। शांता कुमार काँगड़ा से दो बार मुख्यमंत्री बने तो प्रेम कुमार धूमल भी हमीरपुर से दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। गत विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित नतीजे आए तो मंडी जिला से जयराम ठाकुर उस वक़्त मुख्य मंत्री बन गए। जब चुनावों में वह कहीं भी मुख्यमंत्री की दौड़ में न थे।
धूमल के नेतृत्व में लड़े चुनाव में प्रदेश में धूमललेस्स भाजपा सरकार हिमाचल में बनी तो प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कई लोकलुभावनी योजनाओं को लेकर जनता के बीच आए। आम जनता को लाभ भी मिला। उधर मोदी लहर में लोकसभा चुनाव हुए तो प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा का भगवा रिकॉर्ड तोड़ लीड से लहराया। हिमाचल की सभी 68 विस सीटों पर भाजपा को ज़बरदस्त लीड मिली। हिमाचल भाजपा 4/4 और 68/68 पर टॉप कर देश भर में चर्चा में रही।
इतना सब कुछ होने के बावजूद भाजपा का एक वर्ग हाशिए पर खिसकता गया। इससे ज्वालामुखी व पालमपुर में विस्फोट होना शुरू हो गए। हमीरपुर जिला के बडसर में भी सरकार में हो रही नियुक्तियों पर भाजपा मंडल ने सवाल उठाने शुरू कर दिए। काँगड़ा के हर विधानसभा क्षेत्र में पवन राणा व रमेश ध्वाला सरीखे विवादित बोल सुनने को मिलने लगे। शांताकुमार की सक्रिय राजनीति से दूरी बनाना काँगड़ा क़िले को कम्पकंपाने लगी।
ऐसे में प्रेम कुमार धूमल को हमीरपुर की राजनीति के साथ-साथ काँगड़ा को सम्भालने की आवाज़ें उठने लगीं। क्या सच में प्रेम कुमार धूमल काँगड़ा की आवाज़ पर धर्मशाला उपचुनाव लड़ेंगे ? क्या काँगड़ा में भाजपा का दूसरा वर्ग धूमल की एंट्री को सहन कर पाएगा ? यह सब कुछ कहना अभी इतना आसान भी नहीं है। यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि किशन कपूर को गत विधानसभा चुनाव में धूमल के दख़ल के बाद ही टिकट मिला था। धूमल के दख़ल के बाद ही उन्हें जय राम मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। अब काँगड़ा से लोकसभा सांसद निर्वाचित होने के बाद धर्मशाला उपचुनाव में सांसद किशन कपूर की रणनीति क्या रहती है , इस पर भी सबकी नजरें रहेगी।
जहाँ तक प्रेम कुमार धूमल का सवाल है। वह अपना पूरा वक़्त सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को दे रहे हैं। धूमल लोगों के सुख दुःख में बराबर शामिल हो रहे हैं। लोकसभा चुनावों में सुजानपुर के लोगों ने अनुराग ठाकुर को रिकॉर्ड तोड़ लीड देकर अपनी पूर्व में हुई चूक को सुधारने का प्रयास भी किया है। ऐसे में अब धर्मशाला की ‘धर्मशाला ‘ में धूमल क्यों जायें ? पुराने बमसन से मिलकर बना विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर अब दिल से धूमल को जब चाह रहा है तो ऐसे में नए शगूफ़े कौन छोड़ने लग पड़ा।
ऐसा माना जा रहा है कि अगर सच में धूमल को धर्मशाला उपचुनाव जीता कर विधानसभा में एंट्री की तैयारी है तो प्रदेश में सीएम की सीट भी बदलने की पूरी पूरी संभावना बनती है। क्या ये चर्चाएं यूँ ही हो रही है या फिर इसके पीछे कोई सशक्त कारण हैं, इनका पता आने वाले वक़्त में ही चल पाएगा।