एमबीएम न्यूज़/नाहन
कहते हैं, जब इरादे मजबूत हों और ईश्वरीय कृपा हो तो बेहद कठिन कार्य भी आसान हो जाता है। मेहनत और रिस्क उठाने के बाद मिली सफलता का आनंद अलग ही होता है। व्यवस्थागत कमियों का रोना रोने वालों के लिए इन डॉक्टर्स से प्रेरणा लेने की जरुरत है। सिरमौर के दूरदराज क्षेत्र शिलाई के नागरिक चिकित्सालय में बीते 20 दिनों में दूसरी दफा जुड़वां बेटियों का सफलतापूर्वक प्रसव करवा कर डॉक्टरों ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है।
सुबह 8 :30 के करीब प्रोमिला देवी नामक महिला सीएच शिलाई में प्रसव पीड़ा के साथ पहुंची। उसके पास किसी भी प्रकार की टैस्ट रिपोर्ट या प्रेगनेंसी से जुड़ा कोई भी दस्तावेज नहीं था। डॉक्टर ने जाँच करने पर पाया की महिला के पेट में जुड़वां बच्चे थे। रिस्क हाई था। उसके बावजूद बच्चे दानी का पूरा रास्ता खुले होने के कारण उसे रैफर भी नहीं किया जा सकता था। डॉक्टर कार्तिक की सूझबूझ व स्टाफ के अनुभव की वजह से शिलाई अस्पताल में ही एक सीधे व एक उलटे बच्चे का सफल प्रसव करवाया गया। वजन कम होने के कारण नवजात शिशुओं को चाइल्ड स्पेशलिस्ट के पास रैफर कर दिया गया।
सुविधाओं के आभाव के बावजूद डॉक्टरों व स्टाफ ने सफल प्रसव करवा परिजनों को आर्थिक चपत लगने से भी बचाया। यही नहीं प्रसव पीड़ा करहाती हुई महिला के साथ डॉक्टर व स्टाफ का मृदु व्यवहार भी सफल डिलीवरी का कारण बना। सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। मगर मेहनती डॉक्टरों ने अपनी लगन से असंभव को भी संभव बना दिया।