अमरप्रीत सिंह/सोलन
जनपद ने पहली मर्तबा डॉ. वाईएस परमार नौणी विश्वविद्यालय को वाइस चांसलर दिया है। मूलतः नालागढ़ के कहनानी गांव के रहने वाले डॉ. परविन्द्र कौशल के इस पद पर नियुक्ति को लेकर अधिसूचना जारी हो गई है। नवनियुक्त वाइस चांसलर के जीवन की एक खास उपलब्धि यह रही है कि 1989 में उन्हें सबसे युवा वैज्ञानिक के तौर पर नेशनल अवार्ड हासिल हुआ था।
डॉ. कौशल फ्रांस सरकार द्वारा फैलोशिप फॉर डॉक्टरल रिसर्च अवार्ड से 1984 में अलंकृत किए गए थे। इस समय बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची में भी वाइस चांसलर के पद पर तैनात हैं। यहां उनका 6 महीने का कार्यकाल शेष बचा हुआ था। अपने क्षेत्र में माहिर डॉ. कौशल पेपर प्रजेटेंशन के लिए 17 देशों में अपनी काबलियत का लोहा मनवा चुके हैं। इसमें अधिकतर यूरोप के देश शामिल हैं। डॉ. कौशल ने लगभग 100 रिसर्च पेपर व तकनीकी रिपोर्टस प्रकाशित की हैं। इसके अलावा 13 बुक चैप्टर भी लिखे हैं।
डॉ. कौशल अब तक 26 मर्तबा वर्ल्ड कांग्रेस व इंटरनेशनल सम्मेलनों में भी हिस्सा ले चुके हैं। साथ ही 63 प्रोजैक्ट भी संचालित किए हैं। यूजीसी के सदस्य डॉ. कौशल अपने क्षेत्र में जबरदस्त माहिर हैं। 1 अप्रैल 1957 को जन्में डॉ. कौशल ने 1979 से 1981 तक इंडियन काउंसिल फॉर फोरेस्ट्री रिसर्च व एजुकेशन देहरादून में कार्य किया।
इसके अलावा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में 1981 से 1992 तक सहायक व एसोसिएट प्रोफैसर के तौर पर भी कार्य किया। बिरसा विश्वविद्यालय रांची में भी 2005-2019 तक डीन के तौर पर कार्य किया।