अमरप्रीत सिंह/सोलन
मानसून की पहली बारिश ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। जहां एक तरफ बारिश से दो बेजुबान जानवरों की जान गई, वहीं लोगों के घरों में पानी घुसने एवं फोरलेन के कार्य के चलते सड़को पर लहासे गिरने का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग द्वारा पहले से ही प्रदेश में मानसून आने की सूचना जारी कर दी गई थी। मगर बावजूद इसके प्रशासन द्वारा किसी भी तरह के सुरक्षा के इंतजामात नहीं किए गए थे, जिसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। मानसून की पहली बारिश ने प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है।
फोरलेन का कार्य कर रही एनएचएआई की बड़ी लापरवाही की वजह से चंबाघाट में दो बेजुबान गायों की जान चली गई। गौरतलब है कि चंबाघाट में फोरलेन के कार्य के चलते रेलवे क्रॉसिंग को लेकर पुल का कार्य किया जा रहा है, जिसकी मिटटी वही नाले के मुहाने में डंप की जा रही थी। बरसात की पहली बारिश की वजह से नाले में मिटटी भर गई और पानी गऊशाला में घुस गया, जिस वजह से गऊशाला में बंधी दो गऊओं की मौत हो गई।
स्थानीय लोगों ने नाले के बंद होने की शिकायत पहले से ही प्रशासन को दे रखी थी। बावजूद इसके प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं मशरूम सेंटर के सरकारी रिहायशी मकानों में भी पानी घुसने की स्थिति बनी हुई है और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। हादसा होने के बाद प्रशासन चिरनिंद्रा से जगा है। अब जेसीबी मशीन लगाकर नाले को खुलवाने का कार्य कर रहा है।
वहीं कालका-शिमला रोड पर भी जगह-जगह लहासे गिर रहे है। मगर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिए एहतियात के नाम पर कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। अब देखना यह होगा कि बरसात की तो अभी शुरुवात हुई है। गऊशाला के मालिक ने बताया कि नाले के बारे में उन्होंने पहले ही प्रशासन को सूचित किया था लेकिन प्रशासन की टालमटोल की वजह से गायों की जान चली गई है। उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन चंबाघाट और फोरलेन के कार्य के चलते सारा पानी उनकी गऊशाला में घुस गया, जिस कारण उन्होंने दीवार तोड़कर गायों को बाहर निकाला। खबर लिखे जाने तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी लोगों का हाल जानने के लिए नहीं पहुंचा था।