एमबीएम न्यूज़/बिलासपुर
कुल्लू और शिमला में हुए बस हादसों से जहाँ प्रदेश भर में गम का माहौल है तो वहीँ इन हादसों के बाद बसों में ओवरलोडिंग को लेकर प्रशासन शिकंजा कसने की बात कह रहा है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि पुलिस प्रशासन द्वारा ओवरलोडिड बसों का चालान काटने से क्या ओवरलोडिंग ख़त्म हो जाएगी। जी नहीं बात करें बिलासपुर की तो यहाँ की निजी बसों में अभी भी ओवरलोडिंग जारी है। भले ही चालान के डर से कुछ ओवरलोडिंग कम हुई हो मगर शहरी व ग्रामीण इलाकों में धड़ल्ले से ओवरलोडिंग की जा रही है।
स्थानीय लोगों की माने तो सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले यात्रियों को मुआवजा देने के बजाय प्रदेश सरकार को ओवरलोडिंग पर ठोस रणनीति बनानी चाहिए ताकि ऐसे हादसों पर रोक लग सके। स्कूली छात्रा अवंशिका का कहना है कि ओवरलोडिंग क चलते उसे बस से स्कूल जाने में डर लगता है कि कही कोई दुर्घटना ना हो जाए। इसीलिए उसके माता-पिता उसे पैदल ही स्कूल छोड़ते है।
ओवरलोडिंग को लेकर डीएसपी संजय शर्मा का कहना है कि बसों में ओवरलोडिंग को लेकर पुलिस प्रशासन सख्त है। जगह-जगह चैकिंग अभियान के जरिए ओवरलोडिंग पर शिकंजा कसने का काम किया जा रहा है।