एमबीएम न्यूज/शिमला
यूं तो सरकारी कुर्सी मिलने पर ज्यादातर अधिकारियों के तेवर बदल जाते हैं,बहुत कम ऐसे अधिकारी होते हैं जो सच्चे मायनों में अपनी कुर्सी की जिम्मेदारियों को समझते हैं। इन्हीं अधिकारियों में शामिल हैं,एसडीएम चौपाल अजीत भारद्वाज। पद संभालने के 3 माह के भीतर ही अपने सौम्य,शालीन स्वभाव और कर्मठ कार्यशैली के चलते अजीत भारद्वाज हर दिल अजीज बन चुके हैं। अपने कार्यालय में पर्ची कल्चर को समाप्त कर उन्होंने आम आदमी के दिल में जगह बना ली है।
इतना ही नहीं सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों तक पंहुचे, इसके लिए पूरी लगन से काम कर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2 साल पहले गुम्मा बस हादसे में मौत का शिकार हुए बिहार और नेपाल के 11 अज्ञात लोगों के आश्रितों तक राहत राशि पहुंचाने के लिए उन्होंने बीड़ा उठाया है।
19 अप्रैल 2017 को गुम्मा के समीप हुए इस दर्दनाक बस हादसे में उत्तराखंड राज्य की एक निजी बस गिरकर सीधी टौंस नदी में जा समाई थी। हादसे के समय बस में कुल 47 सवारियां मौजूद थी। जिनमें से बस के परिचालक व एक अन्य युवक ने छलांग लगाकर अपनी जान बचाई थी। बाकि चालक सहित 45 मासूम जिंदगियां काल का ग्रास बन गई थी। हादसे में अब तक 34 मृतकों के परिजनों को प्रदेश सरकार की तरफ से एक करोड़ 36 लाख रूपए तथा केंद्र सरकार की तरफ से 68 लाख रूपए की राहत राशि जारी की जा चुकी है। जबकि शेष 11 अज्ञात मृतकों के परिजनों तक सरकार द्वारा जारी राहत को पहुंचाने की लगातार कोशिश प्रशासन द्वारा की जा रही है।
नेपाल मूल के 10 मृतकों के आश्रितों की तलाश के लिए एसडीएम चौपाल अजीत भारद्वाज ने नेपाल दूतावास से लगातार सम्पर्क करके उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया। बिहार राज्य के मोतिहारी से सम्बंध रखने वाले एक व्यक्ति के परिजनों की जानकारी प्राप्त करने के लिए भी मोतिहारी के उपायुक्त से संपर्क किया है।
इसके अलावा अपने 90 दिनों के कार्यकाल में ही उन्होंने विभिन्न मामलों के पीडि़त लोगों तक 1 करोड़ 23 लाख रुपए की रिकॉर्ड सरकारी राहत भी पहुंचाई है। इनमें चौपाल तहसील के पीडि़तों और उनके आश्रितों को पेश आए कुल 44 मामलों में 65 लाख रुपए और नेरवा तहसील के पीडि़तों और उनके आश्रितों को कुल 29 मामलों में 33 लाख रुपए तथा कुपवी तहसील के पीडि़तों और उनके आश्रितों को 15 मामलों में 25 लाख रुपए से ज़्यादा की राहत राशि सरकार द्वारा जारी की जा चुकी हैं। इस धनराशि को सरकार की राहत नियमावली की श्रेणी में आने वाले हादसों में व्यक्ति की मौत,पशु की मौत,अग्निकांड और घायलावस्था आदि में पीडि़त व्यक्ति या उनके आश्रितों के नाम जारी किया जाता है। यह इसलिए संभव हो पाया है कि उन्होंने इस तरह के प्रत्येक मामले में स्वयं रूचि दिखा कर उसका निपटारा किया।