एमबीएम न्यूज़/शिमला
स्वास्थ्य विभाग में बायोमेट्रिक मशीन खरीद मामले की खरीद में हुई गड़बड़ी पर सरकार ने जांच बिठा दी है। विशेष सचिव स्वास्थ्य निपुन जिंदल की अध्यक्षता में एक कमेटी इस मामले की जांच करेगी। इस कमेटी में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है और यह कमेटी 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने शनिवार को प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग में बायोमेट्रिक मशीनें मंहगे दामों पर खरीदी गई हैं। परमार ने कहा यह सारा गोरख धंधा पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 25 मई 2017 को निदेशक स्वास्थ्य विभाग ने सभी सीएमओ को पत्र द्वारा 31 अक्तूबर 2017 से पहले बायोमेट्रिक मशीने लगाने को कहा था। इसके बाद 12 जून 2017 को मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी कांगड़ा ने सभी बीएमओ से बैठक कर उन्हें मशीने लगाने को कहा। इसके बाद 10 जुलाई 2017 को सीएमओ कांगड़ा ने निर्देश दिए कि हमारी इपेनेलमैंट हेडलूम व हेंडीक्राफट से हुई है तथा मशीने महालक्ष्मी इंटरप्राईसिस से खरीद लें। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में चुनावी आचार संहिता के दौरान 66 स्वास्थ्य संस्थानों में 82 मशीने खरीदी गई। इसके अलावा वर्ष 2018 में 18 संस्थानों, 2019 में 2 तथा 2015 में 2 संस्थानों में यह मशीने खरीदी गई।
विपिन परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में 56 टैस्ट मुफ्त किए जाएंगे। इसे प्रदेश के सभी सरकारी स्वस्थ्य संस्थानों में जल्द शुरू किया जाएगा। इससे प्रदेश के लोगों केा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हिम केयर के तहत अभी तक 23152 लोगों का उपचार किया गया तथा 24 करोड़ 94 लाख रूपए खर्च किए गए।