एमबीएम न्यूज/नाहन
एसी कमरों में बैठकर हर रोज जनपद मुख्यालय में जन कल्याणकारी योजनाओं को लेकर बैठकें की जाती हैं। इसके बाद सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन धरातल पर गरीब आज भी रामभरोसे ही हैं। हैरत की बात देखिए, संगड़ाह उपमंडल के शिवपुर पंचायत की गरीब-विधवा संगीता की दर्दभरी दास्तां सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंच गई। मगर प्रशासन अब तक भी बेखबर बना बैठा हुआ है।
आपको याद दिला दें, ये वही मामला है, जिसमें गरीब महिला ने पंचायत सचिव सहित जन प्रतिनिधियों पर संगीन आरोप लगाए थे। इसमें 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगने के अलावा महिला को कहा गया था, तुम शौच खाने वाले लोग हो। चंद रोज पहले धर्मशाला से समाजसेवी संजय शर्मा सोशल मीडिया नेटवर्क से मिली जानकारी के आधार पर महिला के घर पहुंच गए थे। 10 हजार रुपए की व्यक्तिगत मदद करने के बाद इस उम्मीद में घर लौट गए थे कि सिरमौर प्रशासन गरीब महिला को न्याय दिलवाने के लिए न केवल जिम्मेदार अधिकारी को उसके घर भेजेगा, बल्कि जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी तुरंत मिल जाएगा।
गौरतलब है कि महिला की दर्दभरी दास्तां सोशल मीडिया में जबरदस्त तरीके से वायरल हुई थी। अब ताजा घटनाक्रम में जब महिला को प्रशासन से मदद नहीं मिली तो मजबूरन समाजसेवी को आज गरीब महिला को बच्चों सहित लेकर मीडिया के समक्ष हाजिर होना पड़ा। इस दौरान प्रशासन पर तीखे हमले किए गए। तीन बेटियों की परवरिश कर रही संगीता ने पत्रकारों से अपनी व्यथा विस्तार से साझा की। उज्जवला व गृहणी योजना को लेकर भी बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन संगीता आज भी लकडि़यां बीन कर बच्चों के लिए खाना बनाती है।
समाजसेवी संजय शर्मा जब महिला के घर पहुंचे थे
संगीता को माईग्रेन की प्रोब्लम है। दर्द इतना असहनीय होता है कि कई बार अस्पताल में भी दाखिल होना पड़ा है। आयुष्मान योजना में कार्ड से वंचित है। हिम केयर के लायक पैसे नहीं हैं। ऐसे में पिछले दिनों जब माईग्रेन की दर्द ज्यादा हुई तो उन्हें नाहन मेडिकल कॉलेज में दाखिल होना पड़ा। तीनों बेटियों को पीछे खाने के लाले थे।
पत्रकारवार्त्ता के दौरान समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि वो बमुश्किल संगीता के घर पहुंचे थे। रास्ता इस कद्र संकरा है कि मामूली सी चूक पर मौत को बुलावा होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायत सचिव व प्रधान के अलावा पूरा प्रशासनिक अमला संगीता की इस हालत के लिए दोषी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में नौकरशाही से इंसाफ मिलने की उम्मीद कम है। लिहाजा उन्हें लगता है कि हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि महिला को जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देना तो दूर की बात है, प्रशासन ने अब तक मामले का संज्ञान ही नहीं लिया है। उन्होंने संगड़ाह उपमंडल में दबंगई व भ्रष्टाचार से लबरेज सिस्टम पर हैरानी जताई।