एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में उगने वाला सेब स्कैब रोग की जद में आ गया है। इस कारण सेब की फसल तबाह हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्पर शिमला के खड़ापत्थर, देवरीघाट, स्नाबा और चुंजर के सेब बगीचों में यह रोग तेजी से फैल रहा है और इससे बागवानों की चिंता बढ़ गई है। प्रदेश सरकार व बागवानी विभाग ने हरकत में आते हुए इस रोक के निपटने के प्रयास शुरू कर दिए हैं और बागवानी विशेषज्ञ बागवानों को अनुमोदित दवाइयों के छिड़काव की सलाह दे रहे हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक अधिक वर्षा के कारण फफूंदीनाशक दवाइयां जल्दी घुल सकती हैं और उनका असर भी कम हो जाता है, इसलिए छिड़काव घोल तैयार करते समय उसमें स्टीकर का प्रयोग आवश्यक है। यह भी सलाह दी गई है कि अगर छिड़काव के एक-दो घंटे बाद बारिश हो जाती है तो दूसरे दिन फिर छिड़काव करें।
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार स्कैब एक तरह का फंगस है जो कि वातावरण में ज्यादा नमी की वजह से पैदा हुआ है। इससे पहले साल 1982 में भी राज्य में स्कैब रोग आया था, जिसने प्रदेश की बागवानी पर खासा असर हुआ था। उस दौर में बीमारी से ग्रस्त सेब सरकार को एमआईएस के तहत खरीदकर नालों में फेंकना पड़ा था। प्रदेश फल, फूल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान का कहना है कि स्कैब से बागवानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। मामला अधिकारियों के ध्यान में लाया गया है और इसकी रोकथाम के लिए विशेषज्ञों की टीम सेब के बगीचों का दौर कर बागवनों को छिड़काव के बारे में जागरूक कर रही है।
उधर, कांग्रेस ने प्रदेश के कुछ हिस्सों में सेब की फसल में स्कैब पाये जाने पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार से इसको नियंत्रित करने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि सरकार इस रोग की रोकथाम के लिए बागवानों को बेस्ट क्वालटी के कीटनाशक उपलब्ध करवाए जाए।
कांग्रेस महासचिव रजनीश किमटा ने सरकार और बागवानी विभाग की आलोचना करते हुए कहा कि जबकि इस रोग की आशंका बागवानों ने पहले ही जता दी थी, बाबजूद इसके न तो सरकार ने और न ही विभाग ने कोई सुध ली। अब जबकि इस रोग ने अपने पैर पिसार लिये है तो अब सरकार व विभाग हाथ पैर मारने की कोशिश कर रहा है।
किमटा ने कहा कि अभी तक विभाग और सरकार केवल बयान दाग कर ही हवा हवाई बाते कर रही है जबकि बागवानों को इस संदर्भ में कोई ठोस उपाय की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि बागवानों को तुरंत उनके घर द्वार ही बेहतर क्वालटी के किट नाशक उपलब्ध करवाए जाये। उन्होंने कहा है कि इस रोग से जितनी फसल बर्बाद हो गई है उन प्रभाभित बागवानों के नुकसान का जायजा ले कर उन की तुरंत आर्थिक मदद भी की जाए। किमटा ने कहा है कि शिमला से ऊपरी हिस्से में सेब उत्पादन से ही लोगों की मुख्य आर्थिकी है और अगर फसल बर्बाद हो जाती है तो बागवानों की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ सकता है।
चूंकि यह रोग बरसात में जल्द और ज्यादा फैलता है इस लिए बरसात से पूर्व प्रदेश के सभी सेब उत्पादक क्षेत्रों में फफूंद ओर कीटनाशक तुरंत भेज कर सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह पर्याप्त मात्रा में हो और रोग फैलने से रुक गया हो।