एमबीएम न्यूज़/पावंटा साहिब
को डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) द्वारा स्टार कॉलेज स्कीम के अंतर्गत तीन वर्षों के लिए 63 लाख रुपए की कुल राशि स्वीकृत की गई है। यह राशि बॉटनी, केमिस्ट्री एवं जूलॉजी विभागों के लिए स्वीकृत की गई है। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो देवेन्द्रा गुप्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा DBT के माध्यम से 41 लाख रूपये की प्रथम किश्त कॉलेज को मिल गई है। अखिल भारतीय स्तर परतीन चरणों की चयन प्रक्रिया के पश्चात महविद्यालय का चयन इस प्रतिष्ठित स्कीम के लिए हुआ है।
हिमाचल प्रदेश में केवल दो कॉलेजों को इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस अनुदान राशि का उपयोग नए उपकरणों की खरीद और मौजूदा सुविधाओं को उन्नत करके कोर इंस्ट्रूमेंटेशन संसाधनों की क्षमताओं को बढ़ाने में किया जाएगा। स्टार कॉलेज स्कीम के कॉलेज समन्वयक डॉ. जाहिद अली मलिक ने विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि देश भर में विज्ञान शिक्षण में सुधार के लिए स्नातक शिक्षा प्रदान करने वाले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का समर्थन व प्रोत्साहित करने के लिए 2008 में DBT द्वारा स्टार कॉलेज स्कीम शुरू की गई थी।
इसका मुख्य उदेश्य शिक्षण और प्रशिक्षण में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए संस्थानों के शैक्षणिक और भौतिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। उन्होंने बताया कि जीव विज्ञान में करियर बनाने के लिए छात्रों को आकर्षित करने, उनकी रूचि को उत्साहित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए विभिन्न अनुसंधान प्रयोगशालाओं, उद्योगों एवं प्रतिष्ठित संस्थानों का भ्रमण करवाया जाएगा।फैकल्टी डेवलपमेंट के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, संगोष्ठी व कार्यशाला इत्यादि का आयोजन किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत छात्रों को विभिन्न शोध परियोजनाओं के माध्यम से समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने और उनकी मूल सोच को उत्तेजित करने एवं अनुसंधान के लिए उनके उत्साह को विकसित करने में सहायता मिलेगी। प्रस्तावित स्कीम के अंतर्गत कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से उद्यमिता और रोजगार,उन्मुख कौशल, विकास पाठ्यक्रम जैसे कि फूलों की खेती, मशरूम की खेती, हर्बल प्रौद्योगिकी, औषधीय पौधों, नर्सरी और बागवानी, मेडिकल डायग्नोस्टिक्स, एपिकल्चर, सेरीकल्चर, एक्वेरियम फिश कीपिंग, एंटोमोलॉजी, रासायनिक प्रौद्योगिकी आदि को महत्व दिया जाएगा। जो छात्रों के भविष्य की संभावनाओं को एक नई दिशा दे सकते हैं।