एमबीएम न्यूज़/नाहन
डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में जन्म लेते ही शिशुओं की अदला-बदली पर से सस्पेंस हट गया है। अहम बात यह है कि पुलिस ने इस मामले में 2 सप्ताह से भी कम समय में डीएनए की रिपोर्ट हासिल कर ली है। इसमें इस बात की तस्दीक हो गई है कि अदला-बदली नहीं हुई थी। मामला संवेदनशील होने के साथ-साथ मां की ममता से जुड़ा हुआ था। लिहाजा पुलिस भी पूरी शिद्दत से मामले को सुलझाने की कोशिश में लगी हुई थी।
उल्लेखनीय है कि अमूमन डीएनए की रिपोर्ट में चार से 6 सप्ताह लग जाते हैं। डीएनए की रिपोर्ट में शिकायतकर्ता व उसकी पत्नी के नवजात बच्ची के साथ डीएनए सैंपल मैच हो गए हैं। इससे यह साबित हो गया है कि शिकायतकर्ता कुशाल सिंह निवासी चुल्ली (ददाहू) ही बेटी का जैविक पिता है, जबकि जिस महिला की गोद में बेटा है, वही उसकी असल मां है। 9 जून को मेडिकल कॉलेज में उस वक्त हड़कंप मच गया था, जब ददाहू के चुल्ली गांव के रहने वाले कुशाल सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि उसकी पत्नी संगीता ने बेटे को जन्म दिया है। लेकिन बाद में बेटी को गोद में डाल दिया गया।
डीएनए की रिपोर्ट से जहां नवजात शिशु के जैविक माता-पिता की वैज्ञानिक पहचान हो गई है, वहीं मेडिकल कॉलेज को भी राहत मिली है। गौरतलब है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने पहले ही इस बात का खुलासा कर दिया था कि नवजात शिशु की अदला-बदली की नीयत नहीं होगी। मामूली चूक की वजह से बखेड़ा खड़ा हो गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र ठाकुर में पुष्टि करते हुए कहा कि डीएनए रिपोर्ट में पूरी स्थिति स्पष्ट हो गई है। इसमें यह साबित हो गया है कि लड़की के जैविक माता-पिता कौन है।