विनोद ठाकुर/संगड़ाह
उपमंडल की शिवपुर पंचायत की एक गरीब महिला की दास्तां खासी सुर्खियों में है। मंगलवार को करीब 450 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद समाजसेवी संजय शर्मा महिला के घर पहुंचे। सोचिए, तीन बेटियों की परवरिश कर रही गरीब विधवा महिला कैसे जीवन यापन कर रही होगी। सरकार दर्जनों ऐसी योजनाओं को लेकर शेखियां बघारती है, जिसमें गरीबों के उत्थान के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं।
सोशल मीडिया में वायरल हो रही महिला संगीता की दास्तां पर अब बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार व प्रशासन पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में लाता है या नहीं। इन्हीं की बदौलत सरकार को आज शर्मसार होना पड़ रहा है। महिला की गुरबत का दर्द देखिए कि उसे अपनी एक बेटी को अलग करना पड़ा, ताकि मायके में उसकी परवरिश हो जाए,क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है।
महिला ने बताया कि उसके पति की मृत्यु 2013 मे पहाड़ी से गिरकर हो गई थी। इसके बाद तीन बेटियों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई । पति की मृत्यु को 6 वर्ष हो जाने के बाद भी पंचायत ने उन्हें सरकार की ओर से किसी भी जन कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं दिया गया। संगीता ने फोन पर बातचीत में बताया कि जब पति की मृत्यु हुई तो बेटी 20 दिन की थी। महिला ने बताया कि जब उस के घर की छत टूटी तो दस दिन तक प्लास्टिक के तिरपाल में आश्रय लिया।
संगीता ने बताया कि छत टूटने के बाद पंचायत में भी मदद की गुहार लगाई। मगर प्रधान ने साफ मना कर दिया। महिला ने बताया की जब उसे पति की मौत का क्लेम सरकार की और से मिला तो उसने घर के उपर छत डाली । महिला ने बताया कि अभी उसका घर जर्जर हालत में है, जो कभी भी टूट सकता है। हर पल इस डर में जीना पड़ रहा है कि न जाने कब कौन सी दिवार गिर जाए।
महिला ने प्रधान पर यह भी आरोप लगाया कि वर्ष 2017 में डंगा के निर्माण की एवज में प्रधान ने काम शुरू करने के लिए 10000 रुपए मांगे थे। महिला ने पैसे देने में असमर्थता जाहिर की कि उसके पास बच्चों के पालन-पोषण तक के लिए पैसे नहीं हैं। जिस कारण डंगा आज तक नहीं लगा। महिला ने बीडीओ और एसडीएम को भी शिकायत दी। महिला ने बताया कि गृहणी सुविधा के तहत गैस कनेक्शन भी नही मिला।
महिला ने पंचायत सचिव पर भी अभद्र भाषा प्रयोग करने का आरोप लगाया। महिला ने बताया कि पंचायत सचिव ने उन्हें मल-मूत्र खाने वाले कहकर जलील किया, वह भी भरी सभा में। महिला ने बताया कि मीटिंग के लिए बुलाया जाता है। बाद में काम चेहतो के किए जाते हैं। उधर पंचायत प्रधान ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है। महिला ने डीसी सहित मुख्यमंत्री से भी इंसाफ की मांग की है।
समाजसेवी संजय शर्मा ने महिला की अपनी निजी कमाई से 10 हजार की आर्थिक भी मदद की है।