एमबीएम न्यूज़/नाहन/शिमला
12 साल बाद शिमला जिले के चौपाल के ठुंडना गांव में माता ठारी के मंदिर में शांत महायज्ञ हो रहा है। इस शांत यज्ञ की खास बात यह है कि इसमें किसी और बिरादरी का कोई भी व्यक्ति भाग नहीं ले सकता। इस महायज्ञ में केवल सिरमौर, सोलन, शिमला जिले के अलावा उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र के रहने वाले ठुंडू बिरादरी के लोग ही भाग ले सकते हैं।
सिरमौर जिला के पावंटा तहसील के आंज-भोज के भरली व बनौर गांव के ठुंडू बिरादरी के सैंकड़ों लोग इस यज्ञ में भाग लेने चौपाल के ठुंडना गांव पहुंचे है। यह महायज्ञ समाज के कल्याण के लिए किया जाता है। ठुंडुओं के पुस्तैनी गांव ठुंडना में बिरादरी इसका आयोजन कर रही है। इस शांत महायज्ञ की शुरुआत सोमवार को हुई। यह महायज्ञ तीन दिन तक चलेगा।
खास बात यह है कि इस दौरान गांव में किसी को भी आने की अनुमति नहीं है। पुरे इलाके में बिरादरी के लोगों की एकता व भाईचारे को यह यज्ञ समर्पित है। इस दौरान बिरादरी के लोग पुस्तैनी अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन भी करते हैं। जिनमे प्रमुख रूप से डांगरा व तलवार शामिल हैं।
इस दौरान पूरा जनसमूह परम्परागत गायन के साथ देवी की आराधना भी करेंगे। तीन दिन तक नाच-गाकर माता की पूजा-अर्चना होगी। इस शांत महायज्ञ में जिला शिमला के 30 गांव, शिलाई क्षेत्र के 20 गांव, पावंटा क्षेत्र के 5 गांव व राजगढ़ और कुसुम्पटी के 3 या 4 गांव आते हैं।