एमबीएम न्यूज़/नाहन
जंगलों में आग लगने से जहां फ्लोरा और फोना की हानि होती है। वहीं, करोड़ों रूपए का नुकसान भी उठाना पड़ता है। यह बात क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमी एवं वनमंत्री से सम्मानित पर्यावरणविद शेरगंज चौहान ने प्रेस के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार, वन विभाग, वन प्रबंधन समितियां और पर्यावरण प्रेमी मिल कर कोई ठोस समाधान खोजें। यदि समय रहते इसके लिए कोई स्थाई तरीका नहीं खोजा गया तो वो दिन दूर नहीं जब आग लगने से हो रही ग्लोबल वार्मिंग और जीव-जंतुओं के जल मरने का आम आदमी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आने वाली पीढ़ियां नरकीय जीवन जीने के लिए बाध्य हो जाएंगी।
ज्ञात रहे कुछ दिनों से क्षेत्र में स्थित चीड़ के जंगलों में आग पर आग लगती जा रही है। क्षेत्र के दर्जनों जंगल इस समय पूरी तरह जल कर राख हो चुके हैं। इस आग से जहां चीड़ की पत्तियां जल गई हैं। वहीं जंगल में उपस्थित जीव- जंतु, चरागाह में चरते पशु एवं जंगली जड़ी-बूटियां भी आग की चपेट में आ गई हैं। जंगलों में लगी आग से जहां फ्लोरा एवं फोना का नुकसान हुआ है। वहीं एक बागीचा, दुर्गा सिंह का एक घोड़ा, गौशाला, पंचायत का भवन, स्कूल की टंकी के अतिरिक्त हजारों की संख्या में खड़े पेड़ भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
इसके बारे में हाब्बन परिक्षेत्राधिकारी जयसिंह ने बताया कि आग की रिपोर्ट थाना गिरीपुल में दर्ज करवाई जाएगी। इसी प्रकार आग लगने की घटनाओं से बचने के लिए वन विभाग ने क्या कदम उठाए हैं, इसके बारे में वनमंडलाधिकारी आईएफएस मृत्युंजय माधव ने बताया कि जंगलों में लगने वाली आग से पहले और बाद में होने वाले इंतजाम के संदर्भ में वे सारे प्रबंध किए गए हैं जो विभाग की ओर से उपलब्ध रहते हैं।
पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विभागीय प्रबंधन के अतिरिक्त, अन्य जरूरी उपकरणों की सूचि विभाग को भेज दी गई है। ताकि आग पर जल्दी काबू पाया जा सके। उन्होंने इस सूची में फायर प्रूफ ड्रेस, जिसमें बूट भी शामिल हैं व मास्क, लीफ ब्लोअर, मिस्ट ब्लोअर इत्यादि को प्राथमिकता के अधार पर मांगा गया है। पर्यावरणविद शेरगंज चौहान ने जंगल की आग से झुलसे घोड़े की तस्वीर भी जारी की है।