एमबीएम न्यूज़/पावंटा साहिब
क्या आप विश्वास करेंगे कि उत्तर भारत को चूना-पत्थर की आपूर्ति करने वाले क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का आलम क्या है? शिलाई विधानसभा क्षेत्र की कमरऊ पंचायत के खुईनल गांव के लोगों को आज भी चार किलोमीटर पैदल ही मरीजों को कंधे पर उठाकर सफर करना पड़ता है। सड़क की सुविधा तो दूर की बात है, गांववासियों को सही तरीके से पगडंडी भी नसीब नहीं है।
शुक्रवार को गांव के एक बुजुर्ग कलसी राम की तबीयत अचानक बिगड़ गई, इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ा। हालांकि इस तरह की खबरें पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन सरकार को चूना-खदान की एवज में करोड़ों रुपए की रॉयल्टी देने वाले इलाके में हालत ऐसी होगी, इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। शुक्रवार को जब मरीज को कंधों पर उठाकर कमरऊ ले जाया जा रहा था, तो उस समय का वीडियो देखकर आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि खतरनाक पगडंडी पर हल्का सा पांव फिसलने पर क्या नतीजा हो सकता था।
मरीज की पत्नी नमी देवी के इलावा रंगीलाल, मुड़ी राम व सुरेंद्र इत्यादि उन राजनेताओं को कोस रहे थे, जो विधानसभा में बैठकर नुमाइंदगी तो करते हैं, लेकिन धरातल की स्थिति से किसी को अवगत नहीं करवाते हैं।
इस समय शिलाई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हर्षवर्धन चौहान हैं, जिनके पिता का भी राजनीतिक में लंबा तजुर्बा रहा है। इस बीच अहम बात यह है कि सरकार ने चुनाव हारने के बाद बलदेव तोमर को खाद्य आपूर्ति निगम में उपाध्यक्ष की कुर्सी थमाकर उनका राजनीतिक कद तो बढ़ा दिया है, लेकिन सवाल इस बात पर पैदा होता है कि बलदेव तोमर इस गांव की बड़ी समस्या को क्यों नहीं उठा पा रहे हैं। कई मर्तबा रिमोट क्षेत्रों में ग्रामीणों को चुनाव में वोट डालने का खमियाजा भी भुगतना पड़ता है।
https://youtu.be/l33sl7HhPKE
उल्लेखनीय है कि खाद्य आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष बलदेव तोमर अगर चाहते तो समस्या का समाधान तुरंत करवाया जा सकता है। बहरहाल खतरनाक रास्तों व पत्थरों पर चलकर मरीज को अस्पताल तक पहुंचाना भी ग्रामीणों की हिम्मत ही है। गौरतलब है कि अब तक तो यह पंचायत आदर्श इलाका होनी चाहिए थी, जबकि इसके विपरीत हालत ऐसी है। समूची पंचायत में खनन के मकसद से खान मालिकों द्वारा सड़के बनाई गई हैं, अगर यहां भी चूना-पत्थर का खदान होता तो शायद कोई संपर्क मार्ग खान मालिक द्वारा ही बना दिया जाता। यह अलग बात है कि चूना खदानों के लिए बने बनी सड़कें बेहद ही खतरनाक व जोखिमपूर्ण होती है।