वी कुमार/मंडी
वैसे तो हमारे देश में सभी के लिए एक से कानूनों का प्रावधान है लेकिन जो कानून को इम्प्लीमेंट करते हैं, उन्हें कानून कौन सीखा सकता है। जब सरकार ही नियमों का पालन नहीं करने का सार्वजनिक उदाहरण दे तो इसका असर आम लोगों पर किस तरह का पड़ेगा, इसका अंदाजा आप स्वतः लगा ही सकते है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम के गृह जिले के शहर की अगर बात की जाए तो यहां पर सरकारी गाड़ियां अक्सर बड़ी देर तक सड़क किनारे नो पार्किंग में खड़ी हुई पाई जाती है।
इसके साथ बड़ी बात तो यह है कि जिस स्थान पर सरकारी वाहन पार्क होता है उस तरफ बेचारे पुलिस वाले भी जाने से कतराते है, चालान तो दूर की बात है। ताज़ा मामला शहर के बीच का है, जहाँ पर भरी दोपहर में साहब कहीं चले गए हैं। चालक महोदय नो पार्किंग में आराम से गाड़ी पार्क कर अपने फ़ोन पर व्यस्त हैं। यहां पर एक सरकारी गाड़ी लगभग आधे घंटे से ज्यादा नो पार्किंग में खड़ी रही। वो भी शहर के बीचोंबीच, जहां आम लोगों को 2 मिनट गाड़ी रोक कर फ़ोन भी सुनने नहीं दिया जाता।
अक्सर नो पार्किंग स्थानों पर पुलिस वाले कई बार कहते सुने गए हैं कि आप नो पार्किंग में रुक नहीं सकते और फोन सुनना है तो चलते-चलते ही सुनें। इस मामले की आम लोगों ने कड़ी निंदा की है। सरकार व प्रशासन से ऐसे मामलों में गंभीरता दिखाने का आग्रह किया है। इस प्रकार की छूट फिर आम लोगों को भी दिए जाने की मांग उठाई है। लोगों के द्वारा लोगों के लिए बनाई गई सरकार या सरकारी तंत्र इस प्रकार से नियमों की खिल्ली उड़ाएंगे तो वे आम जनता से किस मुंह यातायात कानूनों की पालना की बात कहेंगे।
इसके साथ ही जब सड़क पर नो पार्किंग पर सरकारी वाहन पार्क होंगे तो साथ-साथ आम लोग भी वाहनों को वहां पर पार्क करने से गुरेज नहीं करते। जब शहर में नो पार्किंग में खड़े सरकारी वाहन के बारे में पता किया गया तो ज्यादा जानकारी तो नहीं मिल पाई, लेकिन इस वाहन के नंबर से यह गाड़ी सराज यानी सीएम के गृह विधानसभा क्षेत्र की प्रतीत हो रही थी। अब इस बारे में क्या कार्रवाई होती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो भैया फिर तो यही कहना पड़ेगा कि – जिसकी चलती है उसकी क्या गलती है।