एमबीएम न्यूज़ /शिमला
राज्य सरकार ने सिरमौर में बाल कल्याण कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की चेयरपर्सन विजयश्री गौतम को पद से हटाने की अधिसूचना जारी की है। मामले की शुरूआत 6 नवंबर 2018 को उस समय हुई थी, जब अतिरिक्त उपायुक्त ने विजयश्री गौतम को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
पद से हटाई गई चेयरपर्सन द्वारा 10 दिसंबर 2018 को दिए गए जवाब से प्रशासन संतुष्ट नहीं हुआ। लिहाजा, जांच बिठा दी गई। इसकी रिपोर्ट 11 फरवरी 2019 को जांच अधिकारी ने सौंप दी। इसमें खुलासा हुआ कि चेयरपर्सन द्वारा कार्य को उचित तरीके से नहीं किया जा रहा। जांच में लापरवाही बरतने के अलावा मनमाने तरीके से कार्यालय को संचालित करने की भी पुष्टि हुई। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि चेयरपर्सन ने खुद माना है कि बाल कल्याण समिति के समक्ष 51 मामले लंबित हैं।
सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में यह कहा गया है कि ऐसा महसूस हुआ कि सीडब्ल्यूसी बच्चों के कल्याण को लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में मामले लंबित पड़े हुए हैं। अधिसूचना में जांच अधिकारी के हवाले से यह भी कहा गया है कि चेयरपर्सन को बैठकों की प्रोसिडिंग उपलब्ध करवाने को कहा गया था, लेकिन वो प्रोसिडिंग्स को उपलब्ध नहीं करवा पाई।
अधिसूचना में अहम बात यह है कि इसमें उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका 142/2018 का जिक्र करते हुए कहा गया है कि चेयरपर्सन द्वारा राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा था। इस पर उच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान लिया था। इसमें यह भी साफ किया गया है कि चेयरपर्सन द्वारा बाल कल्याण की बजाय अपने स्टेटस को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही थी।
सामाजिक अधिकारिता विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह द्वारा जारी अधिसूचना जारी की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि चेयरपर्सन अपने दायित्व को निभाने में असफल रही है। अधिसूचना में जुविनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट 2005 के उल्लंघन की बात भी कही गई है।
उल्लेखनीय है कि पदच्युत विजयश्री गौतम ने अपने विजिटिंग कार्ड पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोका को भी छपवा रखा था।