नितेश सैनी/सुंदरनगर
सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार स्कूल पिछले 11 साल से विशेष बच्चों के लिए अपनी सेवाएं दे रहा है। जहां पर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का हर प्रयास किया जा रहा है। स्कूल में 4 साल की उम्र से लेकर 25 साल की उम्र के लगभग 79 बच्चे आत्मनिर्भर बननें का प्रयास कर रहे है। बच्चों की पढाई लिखाई, बच्चों को घर से स्कूल ले जाने और स्कूल से घर छोड़ने से लेकर अध्यापकों और कर्मचारियों पर हर महीने तीन लाख रूपये का खर्चा वहन होता है। जिसमें 20 प्रतिशत मतलब 60 हजार रूपये महिना केंद्र सरकार वहन करती है जो सरकार के दिशा और विकास नेशनल ट्रस्ट के माध्यम से प्राप्त होता है।
अन्य खर्चा संस्था समाज के लोगो की सहायता से उठा रही है। सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि प्रदेश के विशेष बच्चों के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार कोई भी ठोस योजना तैयार नहीं कर पाई है। सरकार सिर्फ पेंशन देने तक सीमित है जबकि बच्चों के लिए कोई भी विशेष कार्यक्रम नहीं है। अगर सरकार विशेष बच्चों की तरफ विशेष ध्यान दे तो बच्चे खुद पर आत्मनिर्भर बन सकते है। मगर सरकार आज इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा पाई है। हिमाचल में सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए सुंदरनगर और शिमला के ढली दो स्कूल चलाए जा रहे है। लेकिन वहां पर भी सीटों की संख्या निश्चित है।
साकार स्कूल की अध्यक्ष शीतल शर्मा ने कहा कि प्रदेश में बहुत से ऐसे बच्चे है जिन्हें तमाम सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि विशेष बच्चों के लिए तहसील स्तर पर डे केयर सेंटर खोले जाये ताकि बच्चों को घर के समीप खुद पर आत्मनिर्भर होने की सभी सुविधा मिल सके। उन्होंने दुःख जाहिर करते हुए कहा कि देश की आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश में कई सरकारें रही लेकिन कोई भी सरकार विशेष बच्चों के लिए उचित कदम या कोई ठोस नीति नहीं ला पाई।
प्रदेश के हजारों बच्चों को अलग-अलग संस्थाओं द्वारा अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। मगर संस्थाओं के लिए भी सरकार का कोई डे केयर प्रोजेक्ट नहीं है। डे केयर प्रोजेक्ट न होने की वजह से आज भी प्रदेश के हजारों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर खुद पर आत्मनिर्भर बनने से चूक रहे है। प्रदेश की बहुत सी संस्थाएं विशेष बच्चों के लिए काम करना चाहती है। सरकार की कोई भी योजना न होने व धन के अभाव के कारण सामने नहीं आ पाई है। उन्होंने प्रदेश की जयराम सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द प्रदेश के हजारों विशेष बच्चों के लिए कोई ठोस नीति बनाई जाए ताकि प्रदेश के हजारों बच्चे खुद पर आत्मनिर्भर हो सके।