नितेश सैनी/ सुंदरनगर
सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार स्कूल के विशेष बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संस्थान पिछले 11 साल से लगातार प्रयास कर रहा है। अब बच्चे धीरे-धीरे आत्मनिर्भर होने लग गए है। संस्थान के बच्चों को जीने की कला सिखाने के साथ-साथ परिवार की रोजी-रोटी के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू करवाए गए है। प्रोजेक्ट के तहत रोजमर्रा की जिन्दगी में इस्तेमाल होने वाली चीजे तैयार कर बाजारों में बेचीं जाएगी। वस्तुओं को बाजारों में बेच कर बच्चे अपने परिवार व संस्थान के अन्य बच्चों की सहायता कर सकेंगे।
कुछ समय पहले बच्चों द्वारा मोमबतीया बना कर बाजारों में बेची गई। लेकिन अब बच्चों द्वारा बाजार से पॉलीथिन को खत्म करने व पर्यावरण को स्वच्छ रखने की मुहीम को आगे बढ़ाते हुए कपड़े के हैंड बैग बनाने की मुहिम शुरू की गई है। अब साकार स्कूल के बड़े बच्चे कपड़े के बैग बना कर बाजारों में बेचेंगे। ताकि संस्थान के अन्य बच्चों के खर्चे के साथ अपने परिवार का गुजारा कर सके। स्कूल के बड़े बच्चे हर रोज 200 से अधिक कपड़े के बैग बना रहे है।
जानकारी देते हुए साकार स्कूल की अध्यक्ष शीतल शर्मा में कहा की स्कूल के बच्चों द्वारा नई शुरुआत की गई है। बच्चों द्वारा कपड़े के थैले बनाए जा रहे हैं। 16 साल से 25 साल की उम्र के कई बच्चों की अकेडमिक क्षेत्र में प्रोग्रेस नहीं हो पा रहे हैं। जिन्हें वोकेशनल साइड पर डाला गया है।
पिछले दो महीने के लगातर प्रयास से आज बच्चे कपड़े के बैग बनाना सीख चुके हैं। उन्होंने कहा की हमारा प्रयास है की बाजारों में बिकने वाला पॉलीथिन पूरी तरह से बंद हो और पर्यावरण स्वच्छ रहे। शीतल शर्मा ने लोगों से अपील की है की बच्चों द्वारा बनाए गए बैग को खरीद कर इनका इस्तेमाल करें। ताकि बच्चे खुद पर आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का गुजारा कर सके।