एमबीएम न्यूज़/ठियोग(शिमला)
देश के सबसे प्राचीन देवी- देवताओ में से एक श्री चिखड़ेश्वर महाराज जी का जठेंजो मेला शुक्रवार 24 प्रविश्ते जेठ को बेहद ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर देवता महाराज जी अपने देवठुयो व अपनी प्रजा,ढोल नगाड़ो व अन्य वाद्य यंत्रों के साथ अपने मूल स्थान चिखड़ (परगना पजैरों) से परगना शिली नाली के “नावला” गाँव जाएंगे। गाँव समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
ये मेला हर साल जेठ माह में मनाया जाता है। इस मेले की एक खास बात ये भी है कि इस मेले में देवता महाराज जी अपनी पालकी में न जाकर अपने पुजारी की गोद मे बैठ कर नावला गाँव जाते है। नावला गाँव पहुंचने पर के हजारों लोगो द्वारा देवता महाराज जी का स्वागत किया जाता है। इसके बाद देवता महाराज जी नावला में बने अपने पवित्र स्थान पर विराजमान हो जाते है,जहाँ देवता जी के पुरोहित (खदराईक) उनकी पूजा अर्चना करेगे। पूजा के दौरान लोगो द्वारा अपने अपने घर से लाये गए “सिड्डू ” देवता महाराज जी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते है।
मान्यता है कि कई हजारो साल पहले एक घटना घटी थी,जिसके बाद से ये मेला शुरू हुआ। घटना ये थी के उनके द्वारा अपने खेतों में लगाये गए गेंहू पकना बंद हो गए। गेहूं उगते भी थे,बड़े भी हो जाते थे,लेकिन पकते नही थे। जिस से बलोवा गाँव के लोग परेशान हो गए थे। इस घटना से परेशान हो कर बलोवा गाँव और परगना शिली नाली के लोग इस क्षेत्र के सबसे प्राचीन देवता श्री चिखड़ेश्वर महाराज जी के शरण मे गए और उन लोगो ने ये मान्यता की के यदि देवता महाराज जी की कृपा से गेहूं पक जाते है तो देवता महाराज जी को हर वर्ष जेठ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को शिली नाली के नावला गाँव ले जाएंगे और उनको भोग के रूप में अपने गेंहू से बने सिड्डू चढ़ाएँगे। देवता महाराज जी के आशीर्वाद से लोगो के खेतों में हो रहा चमत्कार बन्द हुआ और इस मेले की शुरुआत हुई। तब से लेकर हर साल ये मेला हर्ष के साथ मनाया जाता है।
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