दिनेश कुंडलस/नाहन
प्रसव पीड़ा के दौरान 22 किलोमीटर तक बाइक पर सफर करने वाली फातिमा ने मृत बेटे को जन्म दिया। मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की भरसक कोशिश से फातिमा की जिंदगी तो बच गई, लेकिन शिशु को नहीं बचाया जा सका। बेहद गरीब परिवार अपनी पीड़ा को अपने ही दामन में समेट कर बैठ गया है। हालांकि महिला के चाचा इब्राहिम बार-बार कह रहे हैं कि पावंटा साहिब साहिब अस्पताल में उपचार के दौरान लापरवाही बरती गई। लेकिन परिवार को यह भी नहीं पता कि सरकार की व्यवस्था में जब तक लिखित शिकायत नहीं दी जाएगी, तब तक जांच का सवाल ही नहीं उठता। प्रसूति के बाद अस्पताल में फातिमा
उल्लेखनीय है कि 9 महीने की गर्भवती फातिमा को पहले माजरा से पावंटा साहिब रैफर किया गया, जहां से उसे मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। बेहतर होता, अगर फातिमा को माजरा से ही नाहन भेजने की सलाह दी जाती, क्योंकि पहले महिला को 10 किलोमीटर का सफर पावंटा साहिब के लिए तय करना पड़ा, फिर वापसी के साथ नाहन आना पड़ा।
सरकारी योजनाओं में स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसूति को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। यहां तक भी व्यवस्था है कि प्रसूति के बाद जच्चा-बच्चा को घर तक छोड़ने के लिए निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस मामले में प्रसूति पीड़ा का सामना कर रही महिला को मजबूरन 22 किलोमीटर तक बाइक पर सफर करना पड़ता है। चिकित्सकों ने हालांकि खुलकर बोलने से इनकार किया है, लेकिन इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया है कि प्रसव पीड़ा के दौरान बाइक का सफ़र ही शिशु के जीवन पर भारी पड़ा।
अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर इस मामले का संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई करता है या नहीं। यह भी तय है कि किसी चिकित्सक या स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि विभाग इतना तो सुनिश्चित करेगा कि दोबारा किसी गरीब महिला के साथ इस तरह का किस्सा दोबारा न घटित हो। महिला के चाचा इब्राहिम ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि मेडिकल कॉलेज में बेहतरीन सुविधा मिली, चिकित्सकों ने शिशु को बचाने की भी काफी कोशिश की, मगर शिशु मरा हुआ ही पैदा हुआ। दीगर है कि फातिमा पहली बार माँ बन रही थी।
निजी टैक्सी लेकर…
कोलर में बाइक खराब होने के बाद महिला अपने परिजनों के साथ हाईवे के किनारे ही बैठ गई। इस दौरान मौके पर एकत्रित ग्रामीणों की कोशिश से एक निजी वाहन का इंतजाम किया गया, तब जाकर महिला को मेडिकल कॉलेज भेजा गया। रात 1:30 बजे के आसपास प्रसूति में महिला ने मृत शिशु को जन्म दिया।
इन बिंदुओं पर होनी चाहिए जांच….
पहला सवाल यह है कि जब मंगलवार देर दोपहर प्रसूति पीड़ा से कराह रही फातिमा को पावंटा साहिब में एंबुलेंस में बिठा दिया गया था तो उसे उतारा क्यों गया। दूसरी बात यह है कि रास्ते में मिली 108 एंबुलेंस ने कॉल सेंटर से महिला की जानकारी लेकर उसे मेडिकल कॉलेज क्यों नहीं पहुंचाया। तीसरा सवाल यह भी है कि पावंटा साहिब अस्पताल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि महिला को मेडिकल कॉलेज रैफर करना पड़ा। प्रश्न इस बात पर भी है कि क्या रैफर करने से पहले फातिमा को उचित तरीके से उपचार दिया गया या नहीं। कुल मिलाकर 108 एम्बुलेंस सेवा व पावंटा साहिब अस्पताल प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
क्या बोले सीएमओ….
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ केके पराशर का कहना है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर पर पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है, लेकिन इस बात का अब पता चला है कि महिला को मृत शिशु पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि पावंटा साहिब अस्पताल से भी रिपोर्ट तलब की गई है। सीएमओ का कहना था कि 108 सेवा के प्रबंधन से भी इस बारे में बात की गई है कि आखिर महिला को आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस क्यों नहीं मिली। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस की कमी को लेकर मामला निदेशालय से उठाया जा रहा है।