एमबीएम न्यूज़/शिमला
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ प्रदेश भर में अभिभावकों व लोगों की बुलंद हो रही आवाज का अब असर देखने को मिला है। राज्य के शिक्षा महकमे ने प्राइवेट स्कूलों की ओर से मनमाने दामों पर किताबें और वर्दियां बेचने के मामले पर संज्ञान लेते हुए कड़ा कदम उठाया है। शिक्षा निदेशक उच्चतर ने प्रदेश के समस्त प्राइवेट स्कूलों को आदेश दिया है कि वे पाठ्यपुस्तक, स्टेशनरी, स्कूल बैग, वर्दी, जूते और इस तरह के अन्य सामान अपने परिसर में बेचना बंद करें। साथ ही यह भी कहा है कि विद्यार्थियों को सामग्री कुछ चुने हुए विक्रेताओं से भी खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए।
इस संबंध में बाकायदा ऑफिस आर्डर निकाले गए हैं। जिसमें कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल प्रबंधन बिना उचित अनुमति के खुद किताबें और वर्दियां इत्यादि न बेचें और न ही कुछ चुने हुए वेंडर्स से ये सामान खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जाए। प्राइवेट स्कूलों के शैक्षणिक टूअरों के नाम पर वसूली जाने वाली धनराशि के संबंध में प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं, कि ऐसे टूअर प्रोग्राम अभिभावकों की सहमति से बनाए जाएं। लेकिन टूअर प्रोग्राम के संदर्भ में संबंधित एसडीएम को भी अवगत करवाया जाए और टूअर में जाने के लिए किसी भी विद्यार्थी के लिए अनिवार्यता की शर्त न हो तथा ऐसे टूअर प्रोग्रामों में विद्यार्थियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए।
प्राइवेट स्कूलों द्वारा वसूली जाने वाली भारी-भरकम फीस को लेकर शिक्षा निदेशक की तरफ से कहा गया है कि स्कूल फीस व अन्य खर्चे विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाओं व क्रियाकलापों के अनुरूप होनी चाहिए। इसके अलावा स्कूलो में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम 1997 के तहत पीटीए का गठन हो तथा इसमें माता-पिता में से दो तिहाई सदस्य और अध्यापकों में से एक तिहाई सदस्य लिए जाएं।
शिक्षा निदेशक उच्चतर ने स्पष्ट किया है कि उनके आदेशों को अमल में न लाने वाले निजी स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इस बीच शिमला में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलनरत छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा विभाग के इस कदम का स्वागत करते हुए इसे प्रदेश भर के हजारों अभिभावकों के आन्दोलन की जीत करार दिया है। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मंच के पदाधिकारियों की 16 मार्च को निदेशक उच्चतर शिक्षा के साथ शिक्षा निदेशालय शिमला में हुई बैठक की कार्यवाही की अधिसूचना जारी कर दी गई है तथा इसे अब अक्षरतः लागू किया जाना चाहिए।
मेहरा ने कहा कि पहले कुछ स्कूलों ने फीसों में कटौती की व अब निदेशक शिक्षा ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी,लूट व भारी फीसों पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा विभाग व छात्र अभिभावक मंच के मध्य सम्पन्न 16 मार्च की मीटिंग की कार्यवाही की अधिसूचना जारी कर दी है। मंच ने निदेशक शिक्षा द्वारा जारी किए गए आदेशों का स्वागत किया है।
अधिसूचना में चार बिंदुओं पर निर्णय लिए गए हैं। निदेशक शिक्षा ने प्राइवेट स्कूलों को फीसों के मामले में मनमानी पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं व कहा है कि फीसें तर्कसंगत होनी चाहिए। स्कूलों की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी। प्राइवेट स्कूलों में वर्दी व किताबों की दुकानों पर पाबंदी लगा दी गई है। प्राइवेट स्कूलों को ये भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अभिभावकों को वर्दी व किताबें खरीदने के लिए किसी विशेष दुकान से बाध्य न करें। अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया है कि पिकनिक,टूअर व ट्रिप के नाम पर अभिभावकों से पैसे की जबरन उगाही बन्द की जाए व इसकी अनिवार्यता खत्म करके इसे स्वैच्छिक बनाया जाए।
इन आदेशों के तहत हर प्राइवेट स्कूल में पीटीए का गठन अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें लोकतांत्रिक तरीके से अभिभावकों की संख्या दो तिहाई होगी। निदेशक ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि निर्देशों को सख्ती से लागू किया जाए व अवहेलना करने वाले स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लायी जाएगी। विजेंद्र मेहरा ने आशा व्यक्त की है कि अब प्राइवेट स्कूलों की मनमानी व लूट पर शिकंजा कसेगा व हजारों अभिभावकों को न्याय मिलेगा। उन्होंने शिक्षा सचिव को चेताया है कि प्राइवेट स्कूलों पर नकेल न लगाई गई तो मंच के पास निर्णायक आंदोलन के सिवाए कोई चारा न होगा।