कुल्लू (एमबीएम न्यूज): हिमाचल प्रदेश के कई ऊपरी व शीतोष्णीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का सदियों से ही भेड़-बकरी पालन एक मुख्य व्यवसाय रहा है। इन क्षेत्रों की कठोर जलवायु एवं विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भेड़-बकरी पालन ही किसानों को रोजगार उपलब्ध करवाता है। अगर हम कृषि क्षेत्र की चर्चा करें तो पशुपालन को इसका एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। इसके बिना आम किसान अपने आपको अधूरा मानता है।
हम कृषि और पशुपालन को एक दूसरे का पूरक भी कह सकते हैं। ग्रामीण आर्थिकी में पशुपालन के महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनजर ही प्रदेश सरकार भेड़पालकों के कल्याण व उत्थान के लिए कृतसंकल्प है। इनके लिए सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं। भेड़पालकों को बेहतरीन नस्लों की भेड़ें अनुदान पर उपलब्ध करवाना इन्हीं योजनाओं में से एक है और सरकार की इस योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है कुल्लू जिले के गड़सा में स्थित केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान।
यह संस्थान कुल्लू ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों के पशुपालकों को भी उन्नत नस्ल की भेड़ें व मेंढे उपलब्ध करवा रहा है। कई एकड़ क्षेत्र में फैले इस अनुसंधान संस्थान में भेड़ों की कई बेहतरीन नस्लों पर शोध किया जा रहा है और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों की जलवायु तथा पशुपालकों की जरूरतों के अनुसार भेड़ों की नस्ल सुधार पर सराहनीय कार्य हो रहा है। विश्व की बेहतरीन नस्लों की भेड़ें व मेंढे इस संस्थान में लाए गए हैं।
इस समय संस्थान में लगभग 400 जानवर हैं। इनमें से करीब 220 भेड़ें, 70 मेंढे और एक से छह माह के लगभग सौ मेमने शामिल हैं। संस्थान ने पिछले वर्ष कुल्लू जिला के अलावा मंडी जिले के जोगेंद्रनगर और कांगड़ा जिले के बैजनाथ क्षेत्र के ऊपरी इलाकों के भेड़पालकों को भी उन्नत नस्ल के 116 मेमने सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए।
संस्थान भेड़पालकों को तीन से छह माह का मेमना दो हजार रुपये में उपलब्ध करवा रहा है। मादा मेमना 1900 रुपये में दिया जाता है। छह से नौ माह के मेमने की कीमत 2500 और मादा मेमन का दाम 2400 रुपये निर्धारित किया गया है। नौ से 12 माह का मेंढा 3000 और भेड़ 2900 रुपये में दी जाती है। एक से दो साल तक का मेंढा 4500 और भेड़ 4400 रुपये में उपलब्ध करवाई जाती है। दो से चार साल के मेंढे व भेड़ें 6000 व 5900 में और चार से छह साल के मेंढे 4800 और इसी आयु की भेड़ें 4700 रुपये में दी जाती हैं।
संस्थान के प्रभारी ओम हरि चतुर्वेदी ने बताया कि उन्नत नस्ल के साढे चार साल के मेंढे का औसतन वजन सौ किलोग्राम तक हो जाता है। इससे भारी मात्रा में ऊन मिलती है, जिसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है। यह संस्थान आम बुनकरों को 150 प्रति किलोग्राम की दर उत्तम क्वालिटी की ऊन भी उपलब्ध करवा रहा है।
इसके अलावा भेड़पालकों का 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से फीड भी दी जाती है। पौष्टिक घास के बीज भी सब्सिडी पर दिए जाते हैं। केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान गड़सा से उन्नत नस्ल की भेड़ें व मेंढे सस्ते दामों पर खरीदकर प्रदेश के भेड़ पालक अपने पशुधन में बढ़ोतरी व इनकी नस्लों में सुधार कर सकते हैं।