एमबीएम न्यूज/शिमला
जेओए (आईटी) के भर्ती नियमों में संशोधन को लेकर बवाल मचा हुआ है। एक तरफ संशोधन का स्वागत किया गया तो दूसरी तरफ तर्क दिया जा रहा है कि निजी संस्थानों से डिप्लोमा करने वाले अभ्यार्थियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। यह मामला, करीब एक सप्ताह से मीडिया में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल कौशल विकास भत्ता लागू होने के बाद कंप्यूटर संस्थानों की बाढ़ आ गई। कुछ सप्ताह पहले हाईकोर्ट ने भी कौशल विकास भत्ते को लेकर तीखी टिप्पणी की थी। भर्ती के संशोधित नियम व आयोग द्वारा जारी नोटिस
संशोधित नियमों के खिलाफ निजी संस्थानों के प्रबंधक एकजुट हो गए थे। अब इस मसले पर राज्य के बेरोजगार संघ ने भी चुप्पी तोड़ी है। संघ के मुताबिक जानबूझ कर माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। जारी प्रेस बयान में बेरोजगार संघ के सुशील, प्रेमलता, कल्पना, सीमा, संदीप व विवेक इत्यादि ने संशोधित नियम दिखाते हुए कहा कि पुराने नियमों में मान्यता प्राप्त संस्थानों से किए गए डिप्लोमा का उल्लेख किया गया था। अब संशोधित नियमों में मान्यता प्राप्त संस्थानों से किए गए डिप्लोमा का जिक्र किया गया है।
बेरोजगार संघ का यह तर्क है कि संशोधित नियमों को लेकर इस कारण भ्रांतियां फैलाई जा रही है, क्योंकि कुछ अभ्यार्थी पोस्ट कोड 556 में पात्रता मापदंड पूरा नहीं कर पा रहे थे, जो गैर मान्यता प्राप्त डिप्लोमाधारक हैं। तर्क है कि निजी संस्थानों में कोर्स करवाने के लिए एआईसीटीई, यूजीसी, तकनीकी शिक्षा बोर्ड या फिर संबद्ध विश्वविद्यालय से मान्यता लेनी होती है, जिससे शिक्षा का स्तर व गुणवत्ता बनी रहे। लेकिन प्रदेश में कई निजी संस्थान नियमों को ठेंगा दिखाकर व्यवसाय कर रहे हैं। कंप्यूटर कोर्स की आड़ में भारी भरकम फीस वसूली जाती है।
इस बाबत प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग द्वारा समय-समय पर अपनी वैबसाइट पर गुमराह न होने के बारे में भी सूचना प्रकाशित की जाती है। अभ्यार्थियों का यह भी कहना है कि जल्द ही आयोग को गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची दी जाएगी। इन गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों के विरुद्ध उचित कार्रवाई नहीं की जाती तो इस मामले में उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की जाएगी।
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