नितेश सैनी/सुंदरनगर
हिमाचल सरकार द्वारा 9 जनवरी 2019 को गठित की गई विभागीय कमेटी पर दिव्यांगजनों ने सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की इस कमेटी में जो अध्यक्ष और मेंबर यहां तक की अधिवक्ताओं की नियुक्तियां की जाती हैं। उसे दिव्यांगजनों ने असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया है। क्योंकि इससे करोड़ों रुपए का जो खर्चा और अतिरिक्त जो मानसिक दबाव अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर है।
दिव्यांगजनों के कानूनी सलाहकार कुशल कुमार सकलानी ने बताया कि कमेटी में अध्यक्ष और मेंबर जो बनाए गए हैं। उनकी योग्यता और काबलियत को लेकर दिव्यांगजनों ने सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। दिव्यांगजनों ने कहा कि ऐसी नियुक्तियों पर जो जनता के धन और समय बर्बाद हुआ है। यह पूरी तरह से गैर कानूनी है और यह विशेष तौर से पैसा का अपव्यय है। जोकि दिव्यांगजनों के कल्याण पर ही खर्च होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में ऐसा होता नजर नहीं आया है। सरकार ने अपने चहेतों को बोर्ड में अध्यक्ष और मेंबर बनाकर दिव्यांगजनों के पैसों को उनके ऊपर लूटाने की पूरी मेहरबानी दिखाई है। जोकि दिव्यांगजनों के लिए तर्कसंगत नहीं हैं।
कुशल कुमार सकलानी ने मांग की है कि जो निर्णय हाई कोर्ट द्वारा 5-11-2018 को दिया गया है कि दिव्यांगजनों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से 60 वर्ष की है, के संदर्भ में यह मामला भी आज दिन तक प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है और ना ही इस की कोई अधिसूचना अभी तक जारी की है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि इस कार्य में विलंब के लिए मुख्य सचिव और वित्त सचिव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए और इस मसले कि न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। यह मन दिव्यांगजनों ने बना लिया है।
उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार 25 जनवरी को इस संदर्भ में अधिसूचना जारी नहीं करती है तो दिव्यांगजन प्रदेश सरकार के वित्त सचिव और मुख्य सचिव के ऊपर केस दायर करेंगे।