एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल पथ परिवहन निगम की लॉन्ग रूट की बसें अब भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में उसी जगह रुक रही हैं, जहां यात्रियों से खाने की एवज में लूट-खसूट की खबरें एमबीएम न्यूज नेटवर्क के माध्यम से सामने आई थी। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि निगम का प्रबंधन अब भी इस मामले में कोई भी दखल देने के मूड में नहीं है। जैसे ही करीब दो सप्ताह पहले सोश ल मीडिया के माध्यम से खबर वायरल हुई तो आनन-फानन में मंत्री जी ने भी कह दिया कि उचित कार्रवाई होगी। यहां तक की हिमाचल पथ परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संदीप भटनागर ने दो दिन के भीतर कार्रवाई का बयान दे डाला।
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक प्रबंधन की तरफ से क्षेत्रीय प्रबंधकों को किसी भी तरह का कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है, लिहाजा चालकों की मजबूरी है कि कथित लूट-खसूट को लेकर चर्चा में आए ढाबे के बाहर अब भी ब्रेक मारनी पड़ रही है। हालांकि संभावना इस बात की जताई जा रही है कि खबर के वायरल हो जाने के बाद ढाबे के संचालक को कुछ बात समझ आई हो, लेकिन सवाल यह उठता है कि परिवहन निगम इस मामले पर अब तक इतनी लंबी चुप्पी क्यों साधे हुए है। सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ समय बाद ही यात्रियों से पुराने तरीके से ही लूट-खसूट शुरू हो जाएगी। इसका खमियाजा बेबसी से चालकों व परिचालको को भी भुगतना पड़ेगा।
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उल्लेखनीय है कि बस खाने के लिए कहां रूकेगी, इसका फैसला प्रबंधन के स्तर पर किया जाता है न की चालक-परिचालक के स्तर पर। सूत्रों का यहां तक भी कहना है कि अगर परिचालक अपने स्तर पर ढाबे को बदलता है तो उस सूरत में उससे जुर्माना तक वसूलने का प्रावधान प्रबंधन ने तय किया हुआ है। यह भी सामने आया है कि राज्य के अंदरूनी हिस्सो में भी निगम का प्रबंध नही तय करता है कि बसें कहां रुकेंगी।
विभागीय पक्ष में ऐसा हुआ…..
एमबीएम न्यूज नेटवर्क पिछले कई दिनों से निगम के प्रबंध निदेशक संदीप भटनागर से फोन पर संपर्क साध कर यह जानने की कोशिश में लगा रहा कि क्या कार्रवाई हुई है। लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया। बुधवार शाम प्रबंध निदेशक को व्हाटसएप पर संदेश भेज कर पूछा गया। साहब ने मैसेज को पढ़ तो लिया, लेकिन कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। इसके बाद फिर फोन रिसीव करने का आग्रह किया गया। संभवतः साहब के पास कुछ बताने को नहीं होगा, इस कारण जवाब नहीं दिया जा रहा होगा।
उधर परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर से भी फोन पर संपर्क साधने का प्रयास हुआ, लेकिन पीए ने कॉल रिसीव कर बताया कि मंत्री जी कार्यक्रम में व्यस्त हैं। अब सवाल उठता है कि जिन यात्रियों के दम पर निगम ने कमाई करनी है, उनके हित के लिए प्रबंधन के पास जवाब देने तक का समय क्यों नहीं है।