जीता सिंह नेगी/रिकांगपिओ
जिला के लिप्पा गांव में जन्में गेशे थुबतन ज्ञालछन नेगी रिनपोछे 5 से 20 जनवरी 2019 तक 15 दिन के लिए थाईलेड स्थित चंगराइ शहर की यात्रा पर हैं। गेशे जी चंग राइ में अपने अमेरिकान तथा स्विट्जरलेड आदि यूरोपियन देशों के कुछ विशेष अनुयायियों के निमत्रण पर गए हैं। आम तौर पर अमेरिका तथा स्विट्जरलेंड आदि यूरोपियन देशों में शीत काल में हिमपात होने के साथ-साथ मौसम अत्यन्त ठंडी रहती है। इसलिए लोग सर्दी कटने के लिए यहाँ पर आते हैं। वे यहाँ पर भी धार्मिक गतिविधि जैसे धर्म उपदेश तथा साधना अभ्यास आदि का आयोजन करते रहते हैं तथा उसमें भाग लेते हैं।
रिनपोछे जी, ने यहाँ पर अपने अनुयायियों को बौद्ध एवं बोन धर्म के उपदेश देने के साथ-2 विशेष रूप से ‘र्जोगस छेन’ पर आधारित साधना का उपदेश दिया तथा साधना अभ्यास विधि से भी उन्हें प्रशिक्षित किया। उन्होंने इस बार अपने अनुयायियों का विशेष रूप से बौद्ध धर्म के सार रूपी तथागत बुद्ध के निम्न गाथा ‘‘सब्बपापस्स अकरणं कुसलस्स उपसम्पदा। सचित्तपरियोदपनं, एतं बुद्धान सासनं।। ’’ पर विस्तार से व्याख्यान देते हुए लोगों को बौद्ध धर्म से अवगत किया।
रिनपोछे जी, के अनुसार उन्हें चांग राइ शहर में निवास के दौरान विभिन्न स्कूलों में जाने का अवसर भी प्राप्त हुआ। उन्होंने स्कूली छात्रों को भी बौद्ध धर्म के बुनियादी शिक्षा पर व्याख्यान दिया। थाईलैड के भावी पीढि़यों को एक अच्छे नागरिक बनने तथा विश्व शांति में अपने योगदान देने की भी सुझाव दी। यह उनका थाइर्लैंड में प्रथम यात्रा है। इससे पूर्व अमेरिका सहित यूरोप के अनेक देशों का यात्रा कर उन्होंने लोगों को बौद्ध धर्म एवं बोन धर्म के मूल उपदेश देने का कार्य करते आ रहे हैं।
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