एमबीएम न्यूज/नाहन
राज्य के पुलिस महकमे ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इसके मुताबिक आरक्षी के पद पर तैनात ग्रैजुएट कर्मियों को शक्तियां प्रदान की जाएंगी। इसके तहत न केवल ग्रैजुएट कांस्टेबल वाहनों के चालान करने के अधिकृत होंगे, बल्कि आपराधिक घटनाओं में जांच अधिकारी भी बन सकेंगे। दरअसल कई थानों में जांच इस कारण लंबित हो जाती है, क्योंकि जांच अधिकारी कम होते हैं। लिहाजा शिक्षित जवानों का सदुपयोग करने के मकसद से आरक्षियों को शक्तियां दी जा रही हैं। इस तरह की शक्तियां पहले हैड कांस्टेबल स्तर पर ही रहती थी। डरोह में प्रशिक्षण प्राप्त करते अभ्यार्थी
मंत्रिमंडल की बैठक में फैसले पर अंतिम मुहर लग गई है। उड़ीसा के बाद हिमाचल देश में दूसरा राज्य बन गया है, जहां कांस्टेबल स्तर के कर्मचारियों को इस तरह की शक्तियां प्रदान की गई हैं। कांस्टेबल स्तर के कर्मियों को बेशक ही जांच की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन केवल उन आपराधिक मामलों की ही जांच कर पाएंगे, जिन धाराओं में अधिकतम तीन साल की सजा का ही प्रावधान होगा। इससे पुलिस की छवि तो सुधरेगी ही, साथ ही अन्य पुलिस कर्मियों को भी अपनी शैक्षणिक योग्यता में सुधार करने की प्रेरणा मिलेगी। एक जानकारी के मुताबिक राज्य में इस वक्त लगभग 10 हजार कांस्टेबल ग्रैजुएट हैं।
विभाग का मानना है कि तेजी से जांच करने में तो मदद होगी ही, साथ ही पुलिस कर्मियों का मनोबल भी बढ़ेगा। इसमें कोई दोराय नहीं है, कांस्टेबल स्तर का पुलिस कर्मी ही जनता के बीच विभाग का मुखौटा होता है। उल्लेखनीय है कि पुलिस की भर्ती में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता जमा दो है। पुलिस ट्रेनिंग सैंटर डरोह में इस वक्त लगभग एक हजार आरक्षियों का प्रशिक्षण चल रहा है। इसमें 200 महिलाएं भी हैं। बताया जा रहा है कि अधिकतर उच्चशिक्षा प्राप्त युवा कांस्टेबल की ट्रेनिंग ले रहे हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 32 साल की सेवा पूरी कर चुके हैड कांस्टेबल स्तर के कर्मचारियों को ऑनरेरी असीस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर भी पदोन्नत किया था।