वी कुमार/मंडी
एक बार फिर साबित हो गया कि भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ आवाज उठाने वालों को हमेशा दरकिनार ही किया जाता है। पूरे तथ्यों और सबूतों के साथ जिस कर्मचारी ने आईआईटी मंडी में चल रहे गोलमाल का खुलासा किया था उसे अब आईआईटी प्रबंधन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत सुजीत स्वामी को बीती 11 जनवरी को टर्मिनेट कर दिया गया है और इस संदर्भ में आईआईटी मंडी ने आर्डर जारी कर दिए हैं।
सुजीत स्वामी का कहना है कि उन्हें टर्मिनेशन लेटर प्राप्त होने पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ, लेकिन दुख इस बात का है कि भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की इस लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकारों ने इसका कोई साथ नहीं दिया। पूरे दस्तावेजों और सबूतों के साथ केंद्र सरकार को सारा मामला बताने के बाद भी इसपर कोई कार्रवाही नहीं हुई। यहां तक कि संसद में आईआईटी के गोलमाल का मामला भी गूंजा और एक कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच की बात भी सदन में कही गई, लेकिन आज तक यह बात सिर्फ बात ही बनकर रह गई। इन्हीं बातों से सुजीत स्वामी को ज्यादा आघात पहुंचा है।
सुजीत स्वामी ने गत वर्ष मंडी में पत्रकार वार्ता कर आईआईटी प्रबंधन द्वारा किए जा रहे गोलमाल, चहेतों को नौकरी देने, वार्षिक वेतन वृद्धि व पदोन्नति में भाई भतीजावाद के आरोप लगाए थे। यह आरोप आरटीआई से जुटाई जानकारियों के आधार पर लगाए गए थे। सुजीत स्वामी ने विरोध स्वरूप मंडी के ऐतिहासिक सेरी चाणनी पर तीन जुलाई को अनशन कर मुंडन भी करवाया था। इससे आईआईटी प्रबंधन की खूब किरकिरी हुई थी। आईआईटी प्रबंधन ने पत्रकारवार्ता व अनशन को केंद्रीय सिविल सेवा नियम का उल्लंघन करार देते हुए मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। उन दिनों सुजीत स्वामी छुट्टी पर थे।
प्रबंधन ने नोटिस जारी कर सुजीत स्वामी से इस मामले पर जवाब मांगा था। नोटिस का जवाब देते हुए सुजीत स्वामी ने मीडिया के समक्ष रखे पक्ष को अपना मूल अधिकार बताया था, लेकिन जांच कमेटी जवाब से संतुष्ट नहीं हुई थी। अनुशासनहीनता के आरोप लगाते हुए 21 अगस्त को सुजीत स्वामी को चार्जशीट कर दिया था। अब प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए सुजीत स्वामी की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। रजिस्ट्रार विशाल चौहान ने सुजीत स्वामी को बर्खास्तगी का लिखित आदेश जारी कर दिया है। सुजीत स्वामी का कहना है कि उनका टर्मिनेशन नियमों के खिलाफ और वह इसे हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती देंगे और अपनी लड़ाई को लगातार जारी रखेंगे।
बता दें कि सुजीत स्वामी द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं उनपर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई जांच शुरू नहीं हो पाई है। इस कारण सुजीत स्वामी को ज्यादा निराश होना पड़ रहा है। आरटीआई से जो जानकारियां जुटाई हैं यदि उनपर निष्पक्ष जांच शुरू हो जाए तो प्रबंधन के कई अधिकारियों को बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है। लेकिन न तो केंद्र सरकार और न ही एमएचआरडी इस तरफ कोई ध्यान दे रहा है जिस कारण यह मामला ठंडा पड़ता हुआ नजर आ रहा है।
Latest
- WATCH || हिमाचल में तूफान से तबाही, पेड़ गिरने से कई वाहन क्षतिग्रस्त
- अध्यापकों ने पेश की मिसाल, जेब से 15 हजार रुपए खर्च कर दिलाई बच्चों के लिए वर्दी
- कांगड़ा में 50 वर्षीय महिला की संदिग्ध में मौत, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप
- मनाली में तूफान से गिरा देवदार का पेड़, 10 वाहन क्षतिग्रस्त, एक व्यक्ति घायल
- हिमाचल में मौसम ने बदले मिजाज, शिमला में अंधड़ के साथ झमाझम बारिश से लौटी सर्दी