एमबीएम न्यूज़/हमीरपुर
राधा कृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए पहुंचने वाले मरीजों की मुश्किलें कम होती नज़र नहीं आ रही हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल गायनी वार्ड का है। यहां हालात ऐसे हो गए हैं कि एक बिस्तर पर दो गर्भवती महिलाओं को उपचार करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। इसमें 40 बैड की व्यवस्था है। स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं की संख्या बढ़ने के कारण सर्जरी विभाग के 20 बिस्तर और दे दिए हैं। इसके बावजूद हालत में सुधार नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि गर्भवती महिलाओं की संख्या बढ़ने से एक बिस्तर पर दो मरीज उपचाराधीन हैं।
हालांकि प्रसव होने के बाद जच्चा-बच्चा दोनों को घर भेज दिया जाता है, लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने से दिक्कतें भी बड़ी हो गई हैं। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में रोजाना चार से 15 से 20 प्रसव करवाए जा रहे हैं। इसमें सीजेरियन के मामले भी शामिल हैं। हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल बनने के बाद 272 बिस्तर विभिन्न वार्डों में लगाए गए हैं। गायनी वार्ड में महिलाओं की संख्या अधिक होने के कारण 80 बिस्तरों का प्रबंध किया गया है। वर्तमान में यह व्यवस्था मरीजों के आगे छोड़ी पड़ रही है। गायनी विभाग के छह विशेषज्ञ तैनात किए गए हैं।
मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यहां पर मरीजों की संख्या में पहले से इजाफा हुआ है मगर मरीजों को बिस्तर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। जगह कम होने की वजह से मरीजों को बिस्तर उपलब्ध करवाने में अस्पताल प्रशासन को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज बनने से पहले सीजेरियन के मामले टांडा या दूसरे अस्पतालों में रैफर किए जाते थे। अब ऊना, बिलासपुर व मंडी से भी सीजेरियन के मामलों को यहां पर रैफर किया जा रहा है।
मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल हमीरपुर के कार्यकारी स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान ने बताया कि गायनी वार्ड में 40 बैड व सर्जरी विभाग के 20 बैड भी गायनी विभाग को दिए गए हैं। गायनी विभाग में विशेषज्ञ आने से यहां पर प्रसव के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में गर्भवती महिलाओं की संख्या 96 है और बिस्तर 60 हैं।