एमबीएम न्यूज़/नाहन
5 जनवरी से प्रगति मैदान दिल्ली में विश्व पुस्तक मेला आरंभ हो चुका है। भारत भर के सभी लेखकों, पाठकों व प्रकाशकों का यह महाकुंभ 13 जनवरी तक चलेगा। इसी मेले में अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन द्वारा सिरमौर के लेखक दिलीप वशिष्ठ की तीसरी पुस्तक “कृपण दशा” का विमोचन व लोकार्पण किया गया। इस विशेष पुस्तक के लिए दिलीप वशिष्ठ को अंतरा शब्द शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में देश के प्रसिद्ध पत्रकार व साहित्यकार वेद प्रताप वैदिक विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार लक्ष्मी शंकर वाजपेई व उर्मिला माधव जी थी।
दिलीप वशिष्ठ को यह पुरस्कार अंतरा शब्द शक्ति व मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। वशिष्ठ ने बताया की इस पुस्तक के लिए इसलिए सम्मान दिया गया, क्योंकि यह भारतीय हिंदी साहित्य इतिहास की ऐसी प्रथम रचना है जिसमें क से लेकर ज्ञ तक का अनुप्रास क्रमबद्ध रूप से एक ही रचना में लिखा गया है। संस्कृत तत्सम शब्दावली में लिखी गई यह रचना हिंदी शब्द रचना गौरव व भाषा गौरव के महत्व को प्रदर्शित करती है। इस रचना के पदबनधो को वैदिक छंदों में लिखा गया है। संस्कृत के महान कवि भारवि वा माघ से प्रेरित होकर इस रचना में एक पद मात्र न वर्ण से लिखा गया है।
शीघ्र ही यह पुस्तक ई-बुक के रूप में लोगों के बीच में आएगी
इस रचना को विशेषकर भारतीय साहित्य शास्त्र वह भाषा विज्ञान के पाठकों शोधकर्ताओं की रुची को ध्यान मे रखते हुए लिखा गया है। इससे पूर्व लेखक की दो पुस्तकें प्रकाशित हुई है। इनकी पहली पुस्तक अनंत प्रेम की वैदिक प्रार्थनाएं समालोचकों के बीच चर्चा में रही। दूसरी पुस्तक मेरा कर्म यहां लोकजीवन रचता है भी साहित्यकारों व पाठकों को लुभा रही है।
दिलीप वशिष्ठ ने हिंदी साहित्य के साथ-साथ पहाड़ी हिमाचली भाषा में भी खूब लेखन किया है। इनके गीतों को लोक गायकों द्वारा गाया गया है। लोगों द्वारा खूब सराहाया व स्वीकारा गया है। इसके अतिरिक्त दिलीप वशिष्ठ ने बहुत से शोध पत्र हिंदी साहित्य व सिरमौरी संस्कृति पर विभिन्न कार्यक्रमों व साहित्य गोष्ठियो में प्रस्तुत किए हैं। वर्तमान में दिलीप वशिष्ठ स्वतंत्र रूप से पहाड़ी भाषा पर भाषा वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।