एमबीएम न्यूज/ धर्मशाला
तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा दिल्ली, मुंबई और बोधगया के 32 दिवसीय शिक्षण दौरे के समापन के बाद अपने अस्थायी निवास स्थान धर्मशाला में शुक्रवार को लौट आए। दलाईलामा अब आगामी कुछ दिन एकांतवास में रहेंगे। कांगड़ा एयरपोर्ट पहुंचने पर दलाईलामा का केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन के अध्यक्ष डॉ. लोबसग सांगे व तिब्बती संसद के सदस्य खेम्पो सोनम टेनफेल द्वारा स्वागत किया गया। इस शिक्षण दौरे के दौरान दलाईलामा ने अपने 32 दिनों की शिक्षा में मानवीय पीड़ाओं से निपटने में शिक्षा की भूमिका और समग्र खोज को बढ़ावा देने पर सक्रिय रूप से बात की।
इस दौरान बोधगया में तिब्बती धर्म गुरु दलाईलामा ने ए गाइड टू बोधिसत्व के जीवन पथ पर बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षा प्रदान की। बोधगया में आयोजित मंजूश्री अभिषेक कार्यक्रम में दलाईलामा ने कहा कि क्लेश, लोभ और मोह दुख का कारण है। क्रोध आने पर क्षमा का विचार भी करें। उन्होंने बताया कि सोते समय मन में शुद्ध विचार लेकर सोएं तो निश्चिय ही चित्त शुद्ध होता है। क्लेश रखने वाला व्यक्ति दूसरों के साथ अपना भी अहित करता है। इसलिए प्रसन्नता से बड़ा दूसरा धन नहीं है। धर्मगुरु दलाईलामा के फरवरी में दो दिवसीय प्रवास पर बोधगया आने की संभावना है। फरवरी में थाईलैंड के अनुयायियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे।
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