एमबीएम न्यूज़/नाहन
आखिरकार 34 साल के बाद गिरिपार के कोटि-भौंच के सिंगतोऊ व आंजभोज के टोरू के अंजवाल आपस में रिश्ते कर पाएंगे। सदियों पूर्व कोटि गांव में हरषु सियाणा (बस्तेट) ने अपने गांव वालों के साथ मिलकर सिंघा बजीर को मौत के घाट उतारा था। वर्ष 1988 में भलोउ पंडितों ने मध्यस्त कर गंगटोली गांव में दोनों पक्षों की बैठक बुलवाकर समझौता करवाया था। समझौता तो हो गया था मगर आना जाना बंद था। मगर तब ये समझौता सिरे नहीं चढ़ पाया था। दोनों पक्षों में रिश्तेदारियां नहीं होती थी। समझौते के दौरान गंगटोली गांव में उपस्थित जनसमूह
पुराने समझौते की याद दिला कर 11 गांव के भलोउ ब्राह्मणों ने नव वर्ष के मौके पर हजारों लोगों की उपस्थिति में दोनों पक्षों के बीच रिश्तेदारी की बात शुरू करवा दी। ज्ञात रहे कि सदियों पूर्व सिंघा बजीर अंजवाल और हरषु सियाणा (बस्तेट) सिंगटोड में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। कोटि गांव में सिंघा बजीर और उसकी फ़ौज को काट डाला गया था।
200 वर्ष पुरानी इस दुश्मनी को मिटाने के लिए गैंगटोली निवासी स्वर्गीय नैन सिंह और पति राम भलोउ पंडितों ने 1988 में समझौता करवाया था। आना-जाना चालू था मगर रिश्तेदारी नहीं होती थी। इसलिए नए वर्ष में दोनों पक्षों के बीच समझौते के बाद अब पुरानी रंजिश ख़त्म होकर रिश्तों में बदल जाएगी।
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