एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन खत्म हो गया है। इस बार सेब का कारोबार पौने दो करोड पेटियों तक ही सिमट कर रह गया। ऐसे में यह दशक का सबसे कम उत्पादन रहा। हालांकि बागवानी महकमे ने प्रारंभिक आंकलन में दो करोड़ पेटियों के उत्पादन का अंदाजा लगाया था। सेब की कम पैदावार से न केवल राज्य के बागवानों को नुकसान हुआ है, बल्कि राज्य की आर्थिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अमुमन राज्य में सालाना सेब का 3500 से 4000 करोड़ तक कारोबार होता आया है, मगर इस बार के आंकड़ें बेहद चौंकाने वाले हैं।
बागवानी विभाग के निदेशक एमएल धीमान ने बताया कि इस साल 1.48 करोड़ सेब की पेटियां विभिन्न मंडियों में भेजी गईं। इसके अलावा विभिन्न कोल्ड स्टोरों में अलग से सेब रखा गया है, जिसका आंकलन किया जा रहा है। करीब 30 लाख पेटियां कोल्ड स्टोरों में रखी हो सकती हैं। इस तरह इस साल सेब का उत्पादन 1.78 लाख पेटियों के आसपास होने की संभावना है।
इससे पहले वर्ष 2009 में 1.40 करोड़ पेटियों की पैदावार हुई थी। बीते वर्ष 2017 में राज्य में 2.23 करोड़ पेटियों का उत्पादन हुआ था। साल 2010 में सेब की बंपर पैदावार से 5.10 करोड़ पेटियों का उत्पादन हुआ था।
धीमान कहते हैं कि इस साल सेब के कम उत्पादन की वजह मौसम की बेरूखी रही। सेब उत्पादक इलाकों में सेब की फसल को आवश्यक चिलिंग आवर तो मिले। लेकिन गर्मियों के महीनों में सेब की फ्लावरिंग के वक्त भारी ओलावृष्टि हुई, जिसका सेब की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव रहा।
इस बीच बागवानी विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सेब उत्पादन में गिरावट आने का कारण अतिक्रमण वाली भूमि से हाईकोर्ट के आदेशों पर काटे गए सेब के हजारों पौधे भी हैं।
सनद रहे कि सूबे की आर्थिकी में सेब उत्पादन का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य के फलोत्पादन के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल का लगभग 70 फीसद हिस्सा सेब उत्पादन से जुड़ा है। देश में पैदा होने वाले सेब का 35 प्रतिशत हिस्सा हिमाचल ही पैदा करता है। शिमला जिला राज्य का सबसे बड़ा सेब उत्पादक जिला है। इसके अलावा कुल्लू, मंडी, किन्नौर, चंबा आदि में भी सेब उत्पादन किया जाता है।
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