एमबीएम न्यूज/नाहन
वर्तमान युग में सब कुछ डिजिटल हो चुका है। हर कोई अपनी भावनाओं को डिजिटल तरीके से ही शेयर कर रहा है। इस दौर में कलम व कागज की अहमियत कम होती जा रही है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि कलम व कागज के मायने कभी खत्म नहीं हो सकते। शायद इसी संदेश के साथ ऐतिहासिक शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ने एक अनोखा उदाहरण पेश किया है।
दरअसल पाठशाला द्वारा एक दिसंबर को प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन करवाया जा रहा है। इसमें बतौर मुख्यातिथि शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज पहुंचेंगे। साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल द्वारा की जा रही है। लाजमी तौर पर कार्यक्रम के निमंत्रणपत्र भी बनने थे। इसके लिए हस्तलिखित निमंत्रणपत्र बनाया गया है। 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले मेधावी छात्र सुशांत चौहान ने खूबसूरत लिखावट से इसे लिखा है। डिजिटल प्रिटिंग में त्रुटियों की आशंका रहती है, लेकिन सुशांत ने कोई भी गलती न करने का बखूबी प्रयास किया है।
उम्मीद की जा रही है कि स्कूल के इस कदम की प्रशंसा शिक्षा मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष करेंगे। अपने दामन में 200 से भी अधिक साल का इतिहास संजोए शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला द्वारा आबंटित किए जा रहे निमंत्रणपत्रों को देखकर हर कोई दंग भी है। एक तरफ जहां कलम व कागज की अहमियत साबित हुई है, वहीं दूसरी तरफ खर्चे में भी कटौती की गई। अमूमन इस तरह के कार्यक्रम के लिए कम से कम एक कार्ड की कीमत 8 से 10 रुपए रहती है। स्कूल की मानें तो हस्तलिखित कार्ड की कीमत न के बराबर ही आई है।
स्कूल की प्रधानाचार्य सुपर्णा भारद्वाज का कहना है कि एक जमाना था जब हम डाकघर के लिफाफे व पोस्ट कार्ड से संदेश भेजा करते थे। अब डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है, लेकिन पुराने तरीकों की आज भी अहमियत है। बेशक ही डिजिटलाईजेशन हो चुकी है, लेकिन स्कूलों में लिखावट की अहमियत कभी खत्म नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि कलम से लिखी कोई भी पंक्तियां आपकी भावनाओं व स्नेह को भी प्रकट करती हैं। कलम से लिखा गया कोई भी संदेश बेहतरीन होता है। यही कारण है कि हस्तलिखित निमंत्रणपत्र मेहमानों को भेजा जा रहा है।
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