वी कुमार /मंडी
आईआईटी मंडी की मनमानियों का एक और खुलासा हुआ है। इस बार सवालों के घेरे में आया है आईआईटी परिसर में चल रहा नीजि स्कूल। आईआईटी मंडी की कारगुजारियों का खुलासा कर चुके यहीं के एक कर्मचारी सुजीत स्वामी ने कैंपस में खुले नीजि स्कूल के बारे में एचआरडी मिनिस्ट्री और आईआईटी से आरटीआई लगाकर अलग-अगल जानकारी मांगी। एचआरडी मिनिस्ट्री ने जबाव में कहा कि किसी भी आईआईटी कैंपस में नीजि स्कूल का संचालन नहीं किया जा सकता। यहां सिर्फ केद्रीय विद्यालय ही चलाया जा सकता है और इस सिलसिले में एचआरडी मिनिस्ट्री का केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन के साथ एमओयू भी साईन हो चुका है।
मंत्रालय ने 28 जुलाई 2016 को आईआईटी संस्थानों को सर्कुलर भी जारी कर दिया था। 2016 में सर्कुलर जारी होने के बाद भी आईआईटी मंडी के प्रबंधन ने अप्रैल 2017 में यहां एक नीजि स्कूल को अपने ही कैंपस में खोल दिया। “माइंड ट्री” नाम से चल रहे इस नीजि स्कूल के संचालन के लिए आईआईटी ने अपने कैंपस का एक शानदार भवन दे रखा है। आईआईटी में काम करने वाले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के बच्चे यहां पढ़ते हैं। खास बात तो यह है कि स्कूल का उदघाटन आईआईटी मंडी के डायरेक्टर साहब की धर्मपत्नी ने ही किया है।
जानकारी यह भी है कि आईआईटी में काम कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के परिजन ही इस स्कूल में अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। सुजीत स्वामी ने जब आईआईटी प्रबंधन से आरटीआई के माध्यम से यह पूछा कि स्कूल को किन प्रावधानों के तहत खोला है और प्रबंधन की तरफ से इसमें क्या सहयोग किया जा रहा है तो प्रबंधन ने आरटीआई का जबाव देते हुए कहा कि इस संदर्भ में उनके पास कोई जानकारी मौजूद नहीं है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस स्कूल के बारे में प्रबंधन जानकारी देने से क्यों कतरा रहा हैघ् दाल में कुछ काला है या फिर दाल ही काली हैए इस तरफ स्पष्ट संकेत जा रहे हैं।
आरटीआई से जानकारी मांगने वाले सुजीत स्वामी का कहना है कि स्कूल को नियमों पर ताक पर रखकर खोला गया है और अब इसकी जानकारी को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वह इस संदर्भ में एचआरडी मिनिस्ट्री को शिकायत भेजने जा रहे हैं ताकि इसकी निष्पक्ष जांच हो सके और दोषियों पर कार्रवाही की जा सके। सुजीत स्वामी ने आरोप लगाया कि व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नीजि स्कूल खोला गया है और भारत सरकार के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि कैंपस में केंद्रीय विद्यालय खुलता है तो इसका आसपास के ग्रामीणों को भी लाभ मिलेगाए लेकिन आईआईटी उल्टा नीजि स्कूलों को लाभ देने का प्रयास कर रही है।
वहीं जब इस बारे में आईआईटी मंडी के रजिस्ट्रार विशाल सिंह से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि संस्थान में भारत सरकार के आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। कुछ निर्णय संस्थान की बीओडी लेती है और स्कूल खोलने का निर्णय भी बीओडी द्वारा ही लिया गया है और उसी के आधार पर इसका संचालन भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि आरटीआई का जबाव भी प्रावधानों के तहत ही दिया गया है।
बता दें कि आईआईटी मंडी पर मनमानी का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी यहां चहेतों को रेवडि़यां बांटने का खुलासा आरटीआई से हो चुका है। संस्थान के ही कर्मचारी सुजीत स्वामी ने इसका खुलासा किया था। इन दिनों सुजीत स्वामी के खिलाफ आईआईटी प्रबंधन द्वारा संस्थान के विरूद्ध की गई गतिविधियों को लेकर जांच चल रही है।
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